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क्रियापद
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लग् = लग्गइ = लगता है। सक् = सक्कइ = सकता है। कुप् = कुप्पइ = कुपित होता है। 8. संस्कृत द्य का ज्ज होता है। संपद्यते = संपज्जइ = संपादित होता है। खिद्यते = खिज्जइ = खिन्न होता है। रूपावली वर्तमान काल
सामान्यतया अपभ्रंश में निम्नलिखित प्रत्यय होते हैं :पुरुष एक व०
बहुव०
उत्तम०
pootone
उत्तम०
वट्टहुँ
मध्यम० - हि और सि अन्य एक वचन
बहुवचन 1. वट्टउँ मध्यम० 2. वट्टसि और वट्टहि वहु अन्य० 4. वट्टइ
वट्टहिं सामान्यतया प्राकृत वैयाकरणों के अनुसार और अपभ्रंश साहित्य को देखते हुए निम्नलिखित तिङ् विभक्ति चिह पाये जाते
हैं।
पुरुष
एक० मि, आमि, इमि, उं, उ
उत्तम०-
.
बहुवचन मु (हे० 8/4/386), हुँ (हे० 8/4/386 मो, म