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ध्वनि-विचार
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(9) अपभ्रंश में एक स्वर के स्थान पर प्रायः दूसरा स्वर हो जाता है।'
___ अ=इ,-किविण < कृपण, चरिम < चरम, पिक्व < पक्व, किह < कथा, जिह < यथा, तिह < तथा।
अ = उ-मुणइ < मनुते, झुणि < ध्वनि, आदि।
(क) अकारान्त नाम वाले तथा सर्वनाम षष्ठी के एक वचन के अन्त में भी प्रायः अ को उ हो जाता है। सिद्ध हेम०-8/4/338,354 सुअणस्सु, पिअस्सु । तासु, मज्झु, तुज्झु महु, तहु आदि ।
___ (ख) आज्ञार्थ पुल्लिंग एक वचन और बहुवचन में भी अ को उ होता है-भणु, लग्गु, छंडु आदि ।
(ग) वर्तमान काल के पुल्लिंग बहुवचन में करहु < कुरुथ ।
(घ) क्रिया विशेषण के निपातन के अन्त में-छुडु, पुणु, जेत्थु, तेत्थु, केत्थु, अज्जु, जिमु, तिमु आदि।
आ = ए-देई <' दा, लेई <' ला, मेत्त < मात्र
इ = अ-पडिवत्त < प्रतिपत्ति, इच्छिउ < इच्छिक सि० हे० 8/9/88, 91
इ = उ-उच्छु < इक्षु इ = ए-बेल्ल < बिल्व, एत्था < इत्थु सि० हे0 8/1/84 ई = अ-हरडइ < हरीतिकी हे० 8/4/99 ई = आ–कम्हार < काश्मीर हे0 8/4/100 ई = ऊ-विहूण < विहीन।
ई = ए-एरिस, एरिसिअ < ईदृश हे० 8/4/238। वेण < वीणा
ई = ऍ-खे डुअ < क्रीडा। उ = अ-मउड < मुकुट, बाह < बाहु, सउमार < सुकुमार |
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