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रूप विचार
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प्रथमा
कुमारित्रं
महि
ईकारान्त स्त्रीलिंग के नाम रूप
बहुत बार स्त्रीलिंग आकारान्त नाम के अन्त में आ को हूस्व करके प्रयोग बनता है। इसके अन्त में कई बार ई का भी प्रयोग होता है जैसे-बाली, णिसि, बसुंधरी, परमेसरी आदि। यह कभी स्त्रीलिंग विशेषण के रूप में भी आता है। इकारान्त और ईकारान्त स्त्रीलिंग का रूप एक सा ही होता है-वहु-वहहिं रूप मिलता है। आकारान्त स्त्रीलिंग नाम का रूप ईकारान्त की ही तरह होता है। एक व०
बहु० तरुणि
तरंगिणीउ रिद्धी
णारिउ भंडारी
जणदिट्ठिउ अवक्खडी
गाहिणीउ धरिणीए, विलासिणिआए विरहंतिहि पं० तरुणिहे
तरुणिहु च०-ष० महए विहे
पाणिय हारिहु पुत्तिहिं, भूमिहिं पहरंतिहि, मुट्ठिए
कामिणिहि सिद्धिहि, रयणिहे, तुंगिहे सम्बो० माइ, पंचालि
तरूणिहो नपुंसक लिंग
जैसा कि डॉ० तगारे ने लिखा है कि अपभ्रंश में नपुंसक लिंग की कमी हो गयी। नपुंसक लिंग का शब्द रूप भी पुल्लिंग की ही भाँति
सप्त०