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Im गीता दर्शन भाग-1 -
स्वीकार किया जाता रहा। जेम्स-लेंगे थियरी उनके सिद्धांत का नाम रहा है; बिलकुल उलटा काम कर रहा है। जेम्स-लेंगे इसको था। बड़ी मजे की बात उन्होंने कही थी। उन दोनों ने यह सिद्ध करने बिलकुल मानने को राजी नहीं होंगे; कहेंगे, बिलकुल उलटी बातें की कोशिश की थी कि सदा से हम ऐसा समझते रहे हैं कि आदमी कर रहा है। इसे कहना चाहिए कि चूंकि मेरा धनुष गिरा जाता है, भयभीत होता है, इसलिए भागता है। उन्होंने कहा, नहीं, यह गलत चूंकि मेरे रोएं खड़े हुए जाते हैं, चूंकि मेरा शरीर शिथिल हुआ जाता है। क्योंकि अगर शरीर प्रमुख है और मन केवल उप-उत्पत्ति है, तो है, क्योंकि मेरे अंग निढाल हुए जाते हैं, इसलिए हे केशव! मेरे मन सच्चाई उलटी होनी चाहिए। उन्होंने कहा, मनुष्य चूंकि भागता है, में बड़ी चिंता पैदा हो रही है। इसलिए भय अनुभव करता है।
लेकिन यह ऐसा नहीं कह रहा है। चिंता इसे पहले पैदा हो गई हम सोचते रहे हैं सदा से कि आदमी क्रोधित होता है, इसलिए है। क्योंकि इसके शरीर के शिथिल होने और इसके रोएं खड़े होने मद्रियां भिंच जाती हैं: क्रोधित होता है. इसलिए दांत भिंच जाते हैं: का और कोई भी कारण नहीं है बाहर कोई भी कारण नहीं है। एक क्रोधित होता है इसलिए आंखों में खून दौड़ जाता है; क्रोधित होता क्षण में बाहर कुछ भी नहीं बदला है। बाहर सब वही है; लेकिन है, इसलिए श्वास तेजी से चलने लगती है और हमले की तैयारी भीतर सब बदल गया है। भीतर सब बदल गया है। हो जाती है।
तिब्बत में ल्हासा युनिवर्सिटी में विद्यार्थियों का भी शिक्षण जो जेम्स-लेंगे ने कहा, गलत है यह बात। क्योंकि शरीर प्रमुख है, होता था, उसमें भी योग का कुछ वर्ग अनिवार्य था। और एक योग इसलिए घटना पहले शरीर पर घटेगी, मन में केवल प्रतिफलन का नियमित प्रयोग ल्हासा युनिवर्सिटी में चलता था। उसमें भी होगा। मन सिर्फ एक मिरर है, एक दर्पण! इससे ज्यादा नहीं। | विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होना जरूरी था। और वह था हीट-योग। वह इसलिए उन्होंने कहा कि नहीं, बात उलटी है। आदमी चूंकि मुट्ठियां | | है शरीर में भीतर से मन के कारण गर्मी पैदा करने की प्रक्रिया। भींच लेता है और आदमी चूंकि दांत कस लेता है और चूंकि शरीर | अजीब! सिर्फ मन से! सिर्फ मन से। बाहर बर्फ पड़ रही है; और में खून तेजी से दौड़ता है, श्वास तेज चलती है, इसलिए क्रोध पैदा आदमी नग्न खड़ा है, और उसके शरीर से पसीना चू रहा है। . होता है।
और इतने पर राजी नहीं होते थे वे। और जब पश्चिम से आए फिर उन्होंने सिद्ध करने के लिए...और यहां तर्क का बहुत | हुए डाक्टरों ने भी इसका परीक्षण किया, तो बहुत हैरान हो गए। मजेदार मामला है। और तर्क कभी-कभी कैसे गलत रास्तों पर ले क्योंकि जब विद्यार्थियों की परीक्षा होती थी, तो रात में खुले मैदान जाता है, वह देखने जैसा है। उन्होंने कहा, तो मैं यह कहता हूं कि में, बर्फ के पास, झील के किनारे उन्हें नग्न खड़ा किया जाता। और एक आदमी बिना भागे हुए और बिना शरीर पर भागने का कोई | उनके पास कपड़े, कोट, कमीज गीले करके रखे जाते, पानी में प्रभाव हुए भयभीत होकर बता दे। या एक आदमी बिना आंखें लाल | डुबाकर। और वे नग्न खड़े हैं। और उस लड़के को सर्वाधिक अंक किए, मुट्ठियां बांधे, दांत भींचे, क्रोध करके बता दे। | मिलेंगे, जो रात अपने शरीर से इतनी गर्मी पैदा करे कि अनेक कपड़े
मुश्किल है बात! कैसे बताइएगा क्रोध करके। तब उन दोनों ने | | सुखा दे शरीर पर पहनकर! जितने ज्यादा कपड़े रातभर में वह सुखा कहा कि तब ठीक है, जब इसके बिना क्रोध नहीं हो सकता, तो | देगा, उतने ज्यादा अंक उसको मिलने वाले हैं! क्रोध इनका ही जोड़ है। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं है। __ और जब पश्चिम से आए डाक्टरों के एक दल ने यह देखा, तो
लेकिन पता नहीं, जेम्स-लेंगे को किसी ने क्यों नहीं कहा कि वे दंग रह गए। उन्होंने कहा, जेम्स-लेंगे थियरी का क्या हुआ? इससे उलटा होता है। एक अभिनेता क्रोध करके बता सकता है, क्योंकि बाहर तो बर्फ पड़ रही है और वे डाक्टर तो लबादे पर लबादे आंखें लाल करके बता सकता है, दांत भींच सकता है, मुट्ठी भींच | | पहनकर भी भीतर कंपे जा रहे हैं। और ये नग्न खड़े लड़के क्या कर सकता है, फिर भी भीतर उसके कोई क्रोध नहीं होता। और एक | रहे हैं? क्योंकि इनके शरीर पर जो होना चाहिए, वह हो रहा है। अभिनेता प्रेम करके बता सकता है और जितना अभिनेता बता लेकिन मन इनकार कर रहा है। और मन कहे चला जा रहा है कोई सकता है, उतना शायद कोई भी नहीं बता सकता-भीतर उसके बर्फ नहीं है। और मन कहे चला जा रहा है कि धूप है, तेज गर्मी कोई प्रेम नहीं होता है।
| है। और मन कहे जा रहा है कि शरीर में आग तप रही है। इसलिए यह अर्जुन, जेम्स-लेंगे सिद्धांत के बिलकुल विपरीत काम कर शरीर को पसीना छोड़ना पड़ रहा है।
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