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IA दलीलों के पीछे छिपा ममत्व और हिंसा
समझना जरूरी है। यह सारी बातचीत आमने-सामने हुई हो, यह आदमी बच ही गए, तीन भी छोटी संख्या नहीं है। इतना कठिन नहीं सारी बातचीत जैसे हम और आप बोल रहे हैं, ऐसी हुई हो, तो | है, क्योंकि एक आदमी जंगल में बैठकर आंख बंद करके भीड़ में इसमें कृष्ण और अर्जुन ही भागीदार न रह जाते। इसमें बहुत लोग | हो जाता है, तो भीड़ में बैठकर अकेला क्यों नहीं हो सकता। मन थे, बड़ी भीड़ थी चारों तरफ। इसमें और लोग भी भागीदार हो गए की सभी क्रियाएं रिवर्सिबल हैं। मन की सभी क्रियाएं उलटी हो होते। इसमें और लोगों ने भी सवाल उठाए होते। इसमें और सारे सकती हैं। अगर जंगल में बैठकर आदमी अपनी पत्नी से बातचीत लोग बिलकुल चुप ही खड़े हैं! इस तरफ भी योद्धा हैं, उस तरफ कर सकता है, तो अपनी पत्नी के पास बैठकर बिलकुल अकेला भी योद्धा हैं। यह बात दोनों की चलती है घंटों। इसमें कोई बोला हो सकता है। इसमें कोई अड़चन नहीं है। नहीं बीच में! किसी ने इतना भी न कहा कि यह बातचीत का समय तीन आदमी बच गए, उनमें गणितज्ञ आस्पेंस्की भी था। वह खुद नहीं है, युद्ध का समय है, शंख बज चुके हैं, अब यह चर्चा नहीं भी एक वैज्ञानिक चिंतक था। और इधर सौ वर्षों में गणित पर शायद चलनी चाहिए।
सर्वाधिक गहरी किताब उसने लिखी है, टर्शियम आर्गानम। कहते नहीं, कोई नहीं बोला। मेरे देखे, यह चर्चा टेलीपैथिक है, यह | हैं कि यूरोप में तीन बड़ी किताबें लिखी गई हैं अब तक। एक अरस्तू चर्चा सीधी आमने-सामने नहीं हुई है। टेलीपैथी थोड़ी समझनी | का आर्गानम, फिर बैकन का नोवम आर्गानम, और फिर आस्पेंस्की पड़े, तो खयाल में आए, अन्यथा खयाल में नहीं आ पाएगी। एक का टर्शियम आर्गानम। यह बड़ा वैज्ञानिक चिंतक था; यह भी उन दो-तीन उदाहरण से समझाने की कोशिश करूंगा।
तीन में एक बच गया था। एक फकीर था अभी यूनान में जार्ज गुरजिएफ। तीन महीने के | । तीन महीने बीत गए। तीन महीने वह ऐसे वहां रहा, जैसे अकेला लिए रूस के एक बहुत बड़े गणितज्ञ आस्पेंस्की और उसके तीस | है। वे कमरों में जो लोग थे, वे तो भूल ही गए; बाहर जो दुनिया थी,
और शिष्यों को लेकर वह तिफलिस के एक छोटे से गांव में जाकर | | वह भी भूल गई। और जो आदमी दूसरों को भूल जाए, वह अपने बैठ गया था। इन तीस लोगों को एक बड़े बंगले में उसने कैद कर | को भी भूल जाता है; स्मरण रखें। अगर अपने को याद रखना हो, रखा था। कैद, क्योंकि बाहर निकलने की कोई आज्ञा न थी। और तो दूसरों को याद रखना जरूरी है। क्योंकि मैं और तू एक ही डंडे के इन तीस लोगों को कहा था कि कोई एक भी शब्द तीन महीने दो छोर हैं। इनमें से एक गया कि दूसरा फौरन गया। ये दोनों बचते बोलेगा नहीं। न केवल शब्द नहीं बोलेगा, इशारे से भी नहीं हैं, या दोनों चले जाते हैं। कोई कहे कि मैं मैं को बचा लूं और तू को बोलेगा, आंख से भी नहीं बोलेगा, हाथ से भी नहीं बोलेगा। कहा | भूल जाऊं, तो असंभव है। क्योंकि मैं जो है, वह तू की ही चोट है; था कि ये तीस लोग जो इस मकान में रहेंगे तीन महीने, प्रत्येक को | वह तू का ही उत्तर है। अगर तू भूल जाए तो मैं बिखर जाता है। अगर ऐसे रहना है, जैसे वह अकेला ही हो, कोई दूसरा मौजूद ही नहीं | मैं भूल जाए तो तू विदा हो जाता है। वे दो एक साथ बचते हैं, अन्यथा है। दूसरे को रिकग्नाइज भी नहीं करना है-आंख से भी, इशारे से नहीं बचते। वे एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। भी। दूसरा आस-पास से निकल जाए, तो देखना भी नहीं है। और दूसरे भूल गए, यह तो ठीक था, आस्पेंस्की खुद को भी भूल गुरजिएफ ने कहा कि जिसको भी मैं पकड़ लूंगा जरा-सा इशारा गया। फिर बचा सिर्फ अस्तित्व। तीन महीने बाद, गुरजिएफ सामने करते हुए भी, दूसरे को स्वीकार करते हुए भी पकड़ लूंगा कि दूसरा | बैठा है और आस्पेंस्की भी सामने बैठा है। अचानक आस्पेंस्की को निकल रहा था और तुम बचकर निकले, तो भी मैं बाहर कर दूंगा। | सुनाई पड़ा कि किसी ने बुलाया है और कहा, आस्पेंस्की, सुनो! क्योंकि तुमने दूसरे को स्वीकार कर लिया कि दूसरा यहां है, | | उसने चौंककर चारों तरफ देखा, कौन है? लेकिन कोई बोल नहीं बातचीत हो गई; तुम बचकर निकले, इशारा हो गया। रहा है। सामने गुरजिएफ बैठा है। उसने गुरजिएफ को गौर से देखा __पंद्रह दिन में सत्ताइस आदमी बाहर कर दिए गए।
| इन तीन महीनों में। गुरजिएफ हंसने लगा। फिर भीतर से आवाज बड़ा मुश्किल मामला था। जहां तीस आदमी मौजूद हों, एक | आई, पहचान नहीं रहे हो मेरी आवाज? मैं गुरजिएफ बोल रहा हूं। कमरे में दस-दस, बारह-बारह लोग बैठे हों, वहां दूसरों को | | सामने ओंठ बंद हैं, वह आदमी चुप बैठा है। आस्पेस्की बहुत हैरान बिलकुल भूल ही जाना कि वे हैं ही नहीं, अकेले जीने लगना, | हुआ। उसने कहा कि मैं यह क्या अनुभव कर रहा हूं? वह पहली कठिन था। इतना कठिन नहीं जितना हम सोचते हैं, क्योंकि तीन दफे तीन महीने में बोला।