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गीता दर्शन भाग-1 AM
अभी अपने ही चित्त की लहरों से नीचे न उतरा हो, वह दूसरे के खोज में बाकी वैज्ञानिकों ने जितनी बाधा डाली, उतनी और किसी ऊपर उठी लहरों के नीचे नहीं जा सकता है। अर्जुन की सारी पीड़ा ने भी नहीं डाली है। तो अक्सर नई घटना भूल से घटती है; आत्म-अज्ञान है।
| वैज्ञानिक उसको कर नहीं रहा होता, एक्सिडेंटल होती है। __डिलाबार प्रयोगशाला में बहुत संवेदनशील कैमरों के साथ फूलों
पर कुछ अध्ययन किया जा रहा था। और एक कली का फोटो लिया प्रश्नः भगवान श्री, यह भी लहर का ही सवाल है। गया, लेकिन कली का फोटो तो नहीं आया, फोटो फूल का आया! कृष्ण जब अर्जुन से यह कह रहे हैं कि मैं, तू और ये कैमरे के सामने कली थी और कैमरे के भीतर फल आया। तब पहले जनादि पहले भी थे और बाद में भी होंगे, इससे यह | तो यही खयाल हुआ कि जरूर कुछ कैमरे की फिल्म में कुछ भूल निष्कर्ष निकलता है, अभी आपने बताया कि आत्मा | हो गई है। कोई एक्सपोजर पहले हो गया। कुछ न कुछ गलती हो की फार्मलेस कंटेंट का ही शरीर के फार्म के बजाय | गई है। लेकिन फिर भी फूल के खिलने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए। महत्व है। लेकिन क्या यह संभावना भी नहीं हो __ और जब फूल खिला तो बड़ी कठिनाई हो गई। गलती कैमरे की सकती है कि फार्म के बगैर कंटेंट की सम्यक | फिल्म में नहीं हुई थी, गलती वैज्ञानिकों की समझ में थी। जब फूल अभिव्यक्ति नहीं हो सकती! घटादि आकृति के बगैर | खिला, तो ठीक वह वैसा था, जैसा कि चित्र बना था। तब फिर इस मृत्तिका का क्या प्रयोजन है?
पर काम आगे जारी हुआ। और ऐसा समझा गया कि जो कल होने वाला है, वह भी किसी सूक्ष्म तरंगों के जगत में, इस समय भी हो
रहा है, तभी कल हो पाएगा। OT भिव्यक्ति और अस्तित्व में फर्क है; एक्झिस्टेंस और एक बच्चा पैदा होता है मां से। नौ महीने अंदर गर्भ में छिपा होता 1 एक्सप्रेशन में फर्क है। जो अभिव्यक्त नहीं है, वह भी रहता है। किसी को पता नहीं, क्या हो रहा है। नौ महीने बाद पैदा
हो सकता है। एक बीज है। छिपा है वृक्ष उसमें होता है। यह नौ महीने बाद अचानक नहीं आ जाता, नौ महीने की अभिव्यक्त नहीं है, लेकिन है। है इस अर्थ में कि हो सकता है; है | इसने भीतर यात्रा की है। एक कली जब फूल बनती है, तो फूल इस अर्थ में कि छिपा है; है इस अर्थ में कि पोटेंशियल है। | बनने के पहले उसके आस-पास की विद्युत तरंगें यात्रा करती हैं
अभी आक्सफोर्ड युनिवर्सिटी की एक लेबोरेटरी में, डिलाबार | फूल बनने की—गर्भ में। वह चित्र लिया जा सकता है। इसका प्रयोगशाला में, एक बहुत अनूठा प्रयोग चल रहा है, वैज्ञानिक मतलब यह हुआ कि आज नहीं कल, हम एक बच्चे के चित्र से प्रयोग है। और वह प्रयोग, मैं समझता हूं, इस समय चलने वाले | उसके बुढ़ापे का चित्र भी ले सकेंगे। मैं मानता हूं, ले सकेंगे। प्रयोगों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वह प्रयोग यह है कि बहुत | इस अर्थ में ज्योतिष बहुत वैज्ञानिक आधार लेगा। अब तक संवेदनशील कैमरे बीज में छिपे हुए उस वृक्ष का भी चित्र ले सकते | ज्योतिष वैज्ञानिक नहीं बन सका है। इस अर्थ में वैज्ञानिक बनेगा। हैं, जो बीस साल बाद पूरा का पूरा प्रकट होगा।
| जो कल होने वाला है, वह आज भी किसी तल पर हो रहा है-हमें यह बहुत हैरानी वाली बात है। एक कली का चित्र लेते वक्त |
| चाहे दिखाई पड़े, चाहे न दिखाई पड़े। भूल से यह घटना घट गई। और विज्ञान की बहुत-सी खोजें भूल कठिनाई कुछ ऐसी है कि मैं एक वृक्ष के नीचे बैठा हूं, आप वृक्ष से होती हैं। क्योंकि वैज्ञानिक बहत ट्रेडीशनल माइंड के होते हैं। | के ऊपर बैठे हैं। आप कहते हैं, एक बैलगाड़ी रास्ते पर मुझे दिखाई वैज्ञानिक बहुत कनफर्मिस्ट होते हैं। वैज्ञानिक आमतौर से पड़ रही है। मैं कहता हूं, मुझे दिखाई नहीं पड़ रही है। मैं कहता हूं, क्रांतिकारी नहीं होता। क्रांतिकारी कभी-कभी वैज्ञानिक हो जाते हैं, | | कोई बैलगाड़ी नहीं है, रास्ता खाली है। जहां तक रास्ता मुझे दिखाई यह दूसरी बात है; लेकिन वैज्ञानिक आमतौर से क्रांतिकारी नहीं पड़ता है, रास्ता खाली है। मेरे लिए बैलगाड़ी भविष्य में है, फ्यूचर होता। वैज्ञानिक तो जितना विज्ञान जानता है, उसको जोर से में है। झाड़ पर आप बैठे हैं, आपके लिए प्रेजेंट में है, वर्तमान में पकड़ता है; और किसी भी नई चीज को प्रवेश नहीं करने देता। है। आप कहते हैं कि नहीं, बैलगाड़ी है। मैं कहता हूं, होगी; है तो पिछले पूरे विज्ञान का इतिहास यह बताता है कि हर विज्ञान की नई नहीं, भविष्य में होगी। लेकिन आप कहते हैं, वर्तमान में है; मुझे