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Sam गीता दर्शन भाग-1 AM
में दो प्रकार के हैं। एक, वैज्ञानिक जिसको कैटेलिटिक कोआपरेशन | को छूती है। न स्पर्श करती है, न उनके साथ कुछ करती। बस कहता है, कैटेलिटिक एजेंट जिसको वैज्ञानिक कहता है, उस बात | उसकी मौजूदगी, सिर्फ उसका होना। उसकी मौजूदगी के बिना नहीं को समझ लेना उचित है। एक सहयोग है, जिसमें हम पार्टिसिपेंट | | हो पाता। कहना चाहिए, उसकी मौजूदगी ही कुछ करती है; बिजली होते हैं। एक सहयोग है, जिसमें हमें भागीदार होना पड़ता है। एक | कुछ नहीं करती। और सहयोग है, जिसमें मौजूदगी काफी है, जस्ट प्रेजेंस। कृष्ण कह रहे हैं इस सूत्र में, आत्मा निष्क्रिय है, अक्रिय है,
सुबह सूरज निकला। आपकी बगिया का फूल खिल गया। नान-एक्टिव है। सूरज को पता भी नहीं है कि उसने इस फूल को खिलाया। सूरज आत्मा अक्रिय है, निष्क्रिय है, कर्म नहीं करती, तो फिर यह सारी इस फूल को खिलाने के लिए निकला भी नहीं है। यह फूल न होता की सारी यात्रा, यह जन्म और मरण, यह शरीर और शरीर का तो सूरज के निकलने में कोई बाधा भी नहीं पड़ती। यह न होता तो छूटना, और नए वस्त्रों का ग्रहण और जीर्ण वस्त्रों का त्याग, यह सूरज यह न कहता कि फूल तो है नहीं, मैं किसलिए निकलूं! यह | कौन करता है? आत्मा की मौजूदगी के बिना यह नहीं हो सकता खिल गया है, इसके लिए सिर्फ सूरज की मौजूदगी, प्रेजेंस काफी है, इतना पक्का है। लेकिन आत्मा की मौजूदगी सक्रिय तत्व की बनी है। सूरज की मौजूदगी के बिना यह खिल भी न सकता, यह तरह काम नहीं करती, निष्क्रिय उपस्थिति की तरह काम करती है। बात पक्की है। लेकिन सूरज की मौजूदगी इसको खिलाने के लिए __ जैसे समझें कि बच्चों की क्लास लगी है। शिक्षक नहीं है। नहीं है, यह बात भी इतनी ही पक्की है। सूरज की मौजूदगी में यह | चिल्ला रहे हैं, शोरगुल कर रहे हैं, नाच रहे हैं। फिर शिक्षक कमरे खिल गया है।
। में आया। सन्नाटा छा गया, चप्पी हो गई। अपनी जगह बैठ गए हैं. लेकिन यह भी बहुत ठीक नहीं है। क्योंकि सूरज की किरणें किताबें पढ़ने लगे हैं। अभी शिक्षक ने एक शब्द नहीं बोला। अभी कुछ करती हैं। चाहे सूरज को पता हो, चाहे न पता हो। सूरज की | शिक्षक ने कुछ किया नहीं। अभी उसने यह भी नहीं कहा कि चुप किरणें उसकी कलियों को खोलती हैं। सूरज की किरणें उस पर हो जाओ। अभी उसने यह भी नहीं कहा कि गलत कर रहे हो। अभी चोट भी करती हैं। चोट कितनी ही बारीक और सूक्ष्म हो, लेकिन उसने कुछ किया ही नहीं। अभी वह सिर्फ प्रवेश हआ है। पर उसकी चोट होती है।
मौजूदगी, और कुछ हो गया है। शिक्षक कैटेलिटिक एजेंट है इस सूरज की किरणों का भी वजन है। सूरज की किरणें भी प्रवेश | क्षण में। अभी कुछ कर नहीं रहा है। करती हैं। कोई एक वर्ग मील पर जितनी सूरज की किरणें पड़ती हैं, ये सारे उदाहरण बिलकुल ठीक नहीं हैं, सिर्फ आपको खयाल उसका कोई एक छटांक वजन होता है। बहुत कम है। एक वर्ग मील | आ सके, इसलिए कह रहा हूं। आत्मा की मौजूदगी-लेकिन पूछा पर जितनी किरणें पड़ती हैं, अगर हम इकट्ठी कर सकें, तो कहीं एक जा सकता है, मौजूद होने का भी उसका निर्णय तो है ही; डिसीजन छटांक वजन होगा। एक तो इकट्ठा करना मुश्किल है। अनुमान है। | तो है ही! शिक्षक कमरे में आया है, नहीं आता। आने का निर्णय वैज्ञानिकों का, इतना वजन होगा। इतना भी सही, तो भी सूरज फूल | | तो लिया ही है। यह भी कोई कम काम तो नहीं है। आया है। आत्मा की पखुड़ियों पर कुछ करता है। तो वह भी कैटेलिटिक एजेंट नहीं कम से कम निर्णय तो ले ही रही है जीवन में होने का। अन्यथा है, इनडायरेक्ट पार्टिसिपेंट है, परोक्ष रूप से भाग लेता है। | जीवन के प्रारंभ का कोई अर्थ नहीं है। कैसे जीवन प्रारंभ होगा! तो
लेकिन कैटेलिटिक एजेंट वैज्ञानिक बहुत दूसरी चीज को कहते | आत्मा क्यों निर्णय ले रही है जीवन के प्रारंभ का? मौजूद होने की हैं। जैसे कि हाइड्रोजन और आक्सीजन मिलकर पानी बनता है। तो | भी क्या जरूरत है? क्या परपज है?
आप हाइड्रोजन और आक्सीजन एक कमरे में बंद कर दें, तो भी पानी तो यहां थोड़े और गहरे उतरना पड़ेगा। एक बात तो यह समझ नहीं बनेगा। सब तरह से सब मौजूद है, लेकिन पानी नहीं बनेगा। | लेनी जरूरी है कि स्वतंत्रता सदा दोहरी होती है। स्वतंत्रता कभी
लेकिन उस कमरे में बिजली की एक धारा दौड़ा दें। तो बस, इकहरी नहीं होती। स्वतंत्रता सदा दोहरी होती है। स्वतंत्रता का तत्काल हाइड्रोजन और आक्सीजन के अणु मिलकर पानी बनाना मतलब ही यह होता है कि आदमी या जिसके लिए स्वतंत्रता है, शुरू कर देंगे। सब तरह से खोज-बीन की गई, बिजली की धारा | वह विपरीत भी कर सकता है। कुछ भी नहीं करती। न वह हाइड्रोजन को छूती है, न आक्सीजन समझ लें, एक गांव में हम डुंडी पीट दें और कहें कि प्रत्येक
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