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m+ गीता दर्शन भाग-1 AM
या तू अगौरव को उपलब्ध हो सकता है और कुछ भी नहीं। तो वे | | सकती है। तो हम सर्टिफिकेट लिखवाकर कहां से लाएं? कहते हैं कि या तो तू यश को उपलब्ध हो सकता है क्षत्रिय की यात्रा सर्टिफिकेट कोई और हो भी नहीं सकता बहादुरी का। से, या सिर्फ अपयश में गिर सकता है।
अकबर तो घबड़ा गया, उसने अपनी आत्मकथा में लिखवाया है कि इतना मैं कभी नहीं घबड़ाया था। मानसिंह को उसने बुलाया
| और कहा कि क्या, यह मामला क्या है? मैंने तो ऐसे ही पछा था। यदृच्छया चोपपन्नं स्वर्गद्वारमपावृतम् । तो मानसिंह ने कहा, क्षत्रिय से दोबारा ऐसे ही मत पूछना। क्योंकि सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम् ।। ३२ ।। जिंदगी हम हाथ पर लेकर चलते हैं। क्षत्रिय का मतलब यह है कि हे पार्थ, अपने आप प्राप्त हुए और खुले हुए स्वर्ग के । मौत एक क्षण के लिए भी विचारणीय नहीं है। लेकिन अकबर ने द्वाररूप इस प्रकार के युद्ध को भाग्यवान क्षत्रिय लोग ही | लिखवाया है कि हैरानी तो मझे यह थी कि मरते वक्त वे बडे प्रसन्न पाते हैं।
| थे; उनके चेहरों पर मुस्कुराहट थी। तो मानसिंह से उसने पूछा कि
यह मुस्कुराहट, मरने के बाद भी! तो मानसिंह ने कहा, क्षत्रिय जो
हो सकता था, हो गया। फूल खिल गया। तृप्त! कोई यह नहीं कह र स दूसरे सूत्र में भी वे क्षत्रिय की धन्यता की स्मृति | सका कि क्षत्रिय नहीं! बात खतम हो गई। २ दिला रहे हैं। क्षत्रिय की क्या धन्यता है। क्षत्रिय के लिए। वह जो कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि स्वर्ग और नर्क, जिसके
. क्या ब्लिसफुल है। क्षत्रिय के लिए क्या फुलफिलमेंट | सामने दोनों के द्वार खुले हों, ऐसा क्षत्रिय के लिए युद्ध का क्षण है। है। वह कैसे फुलफिल्ड हो सकता है। वह कैसे आप्तकाम हो | | वहीं है कसौटी उसकी, वहीं है परीक्षा उसकी। जिसकी तू प्रतीक्षा सकता है, कैसे भर सकता है पूरा।
| करता था, जिसके लिए तू तैयार हुआ आज तक, जिसकी तूने युद्ध ही उसके लिए अवसर है। वहीं वह कसौटी पर है। वहीं | | अभीप्सा और प्रार्थना की, जो तूने चाहा, वह आज पूरा होने को है। चुनौती है, वहीं संघर्ष है, वहां मौका है जांच का; उसके क्षत्रिय होने | | और ऐन वक्त पर तू भाग जाने की बात करता है! अपने हाथ से की अग्निपरीक्षा है। कृष्ण कह रहे हैं कि जैसे स्वर्ग और नर्क के | नर्क में गिरने की बात करता है! द्वार पर कोई खड़ा हो और चुनाव हाथ में हो। युद्ध में उतरता है तू, । क्षत्रिय के व्यक्तित्व को उसकी पहचान कहां है? उस मौके में, चुनौती स्वीकार करता है, तो स्वर्ग का यश तेरा है। भागता है, | उस अवसर में, जहां वह जिंदगी को दांव पर ऐसे लगाता है, जैसे पलायन करता है, पीठ दिखाता है, तो नर्क का अपयश तेरा है। | जिंदगी कुछ भी नहीं है। इसके लिए ही उसकी सारी तैयारी है। यहां स्वर्ग और नर्क किसी भौगोलिक स्थान के लिए सूचक नहीं इसकी ही उसकी प्यास भी है। यह मौका चूकता है वह, तो सदा के हैं। क्षत्रिय का स्वर्ग ही यही है...।
| लिए तलवार से धार उतर जाएगी; फिर तलवार जंग खाएगी, फिर मैंने सुना है कि अकबर के दरबार में दो राजपूत गए। युवा, | आंसू ही रह जाएंगे। जवान, अभी मूंछ की रेखाएं आनी शुरू हुई हैं। दोनों अकबर के | | अवसर है प्रत्येक चीज का। ज्ञानी का भी अवसर है, धन के सामने गए और उन्होंने कहा कि हम दो बहादुर हैं और सेवा में | यात्री का भी अवसर है, सेवा के खोजी का भी अवसर है। अवसर उपस्थित हैं; कोई काम! तो अकबर ने कहा, बहादुर हो, इसका | | जो चूक जाता है, वह पछताता है। और जब व्यक्तित्व को उभरने प्रमाण क्या है? उन दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, हंसे। | का आखिरी अवसर हो, जैसा अर्जुन के सामने है, शायद ऐसा तलवारें बाहर निकल गईं। अकबर ने कहा, यह क्या करते हो? अवसर दोबारा नहीं होगा, तो कृष्ण कहते हैं, उचित ही है कि तू लेकिन जब तक वह कहे, तब तक तलवारें चमक गईं, कौंध गईं। स्वर्ग और नर्क के द्वार पर खड़ा है। चुनाव तेरे हाथ में है। स्मरण एक क्षण में तो खून के फव्वारे बह रहे थे; एक-दूसरे की छाती में | | कर कि तू कौन है! स्मरण कर कि तूने अब तक क्या चाहा है! तलवारें घुस गई थीं। खून के फव्वारों से चेहरे भर गए थे। और वे स्मरण कर कि यह पूरी जिंदगी, सुबह से सांझ, सांझ से सुबह, तूने दोनों हंस रहे थे और उन्होंने कहा, प्रमाण मिला? क्योंकि क्षत्रिय किस चीज की तैयारी की है! अब वह तलवार की चमक का मौका सिर्फ एक ही प्रमाण दे सकता है कि मौत मुस्कुराहट से ली जा आया है और तू जंग देने की इच्छा रखता है?
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