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Om विषाद की खाई से ब्राह्मी-स्थिति के शिखर तक +
भावना का धोखा है, तो फर्क क्या है?
| मत करो; भाग जाओ यहां से; रात मेरी नींद हराम मत कर देना। . एक आदमी रो रहा है अपने बेटे के पास बैठा हुआ—मेरा बेटा फिर रात पेट की तकलीफ से वह लड़का चीखने लगा। तो उसने बीमार है और चिकित्सक कहते हैं, बचेगा नहीं, मर जाएगा। रो रहा | नौकरों से उसे उठवाकर सड़क पर फिंकवा दिया। है; छाती पीट रहा है। उसके प्राणों पर बड़ा संकट है। तभी हवा का | | फिर सुबह वह मर गया। सुबह जब वह जमींदार उठा, तो वह एक झोंका आता है और टेबल से एक कागज उड़कर उसके पैरों | | लड़का मरा हुआ पड़ा था। लोगों की भीड़ इकट्ठी थी। लोग कह रहे पर नीचे गिर जाता है। वह उसे यूं ही उठाकर देख लेता है। पाता है थे, कौन है, क्या है, कुछ पता लगाओ। किसी ने उसके खीसे में कि उसकी पत्नी को लिखा किसी का प्रेम-पत्र है। पता चलता है खोज-बीन की तो चिट्ठी मिल गई। तब तो उन्होंने कहा कि अरे, पत्र को पढ़कर कि बेटा अपना नहीं है, किसी और से पैदा हुआ है। वह जमींदार जिसको खोज रहा है, यह वही है। यह जमींदार को सब भावना विदा हो गई। कोई भावना न रही। दवाई की बोतलें हटा | लिखी गई चिट्ठी-पत्री, यह अखबारों की कटिंग! यह उसका देता है। जहर की बोतलें रख देता है। रात एकांत में गरदन दबा देता | लड़का है। है। वही आदमी जो उसे बचाने के लिए कह रहा था, वही आदमी | वह जमींदार बाहर बैठकर अपना हुक्का पी रहा है। जैसे ही गरदन दबा देता है।
उसने सुना कि मेरा लड़का है, एकदम भावना आ गई। अब वह भावना का क्या हुआ? यह कैसी भावना थी? यह भावना नहीं | छाती पीट रहा है, अब वह रो रहा है। अब उस लड़के को-मरे थी। यह मेरे के लिए भावना का मिथ्या भ्रम था। मेरा नहीं, तो बात | को-कमरे के अंदर ले गया है। जिंदा को रात नहीं ले गया। मरे समाप्त हो गई।
| को दिन में कमरे के अंदर ले गया। अब उसकी सफाई की जा रही टाल्सटाय ने एक कहानी लिखी है। लिखा है कि एक आदमी | है—मरे पर। मरे को नए कपड़े पहनाए जा रहे हैं! वह जमींदार का का बेटा बहुत दिन से घर के बाहर चला गया। बाप ही क्रोधित हुआ | बेटा है। अब उसको घर ले जाने की तैयारी चल रही है। और रात था, इसलिए चला गया था। फिर बाप बूढ़ा होने लगा। बहुत | उसने कई बार प्रार्थना की, मुझे भीतर आने दो, तो उसको नौकरों परेशान था। अखबारों में खबर निकाली, संदेशवाहक भेजे। फिर | से सड़क पर फिंकवा दिया। यह भावना है? उस बेटे का पत्र आ गया कि मैं आ रहा हूं। आपने बुलाया, तो मैं | नहीं, यह भावना का धोखा है। भावना मेरे-तेरे से बंधी नहीं आता हूं। मैं फला-फलां दिन, फला-फलां ट्रेन से आ जाऊंगा। | होती, भावना भीतर का सहज भाव है। अगर भावना होती, तो उसे
स्टेशन दूर है, देहात में रहता है बाप। अपनी बग्घी कसकर वह कमरे के बाहर निकालना मुश्किल होता। अगर भावना होती, तो उसे लेने आया। मालगुजार है, जमींदार है। लेकिन उसके आने पर रात उसके पेट में दर्द है, सर्द रात है, बर्फ पड़ती है, उसे बाहर पता चला कि ट्रेन आ चुकी है। वह सोचता था चार बजे आएगी, बिठाना मुश्किल होता। यह सवाल नहीं है कि वह कौन है। सवाल वह दो बजे आ गई। तो धर्मशाला में ठहरा जाकर। अब अपने बेटे | यह है कि भाव है भीतर! की तलाश करे कि वह कहां गया!
ध्यान रहे, भावना स्वयं की स्फुरणा है। दूसरे का सवाल नहीं धर्मशाला में कोई जगह खाली नहीं है। धर्मशाला के मैनेजर को · कि वह कौन है। मर रहा है एक आदमी, नौकरों से फिंकवा दिया उसने कहा कि कोई भी जगह तो खाली करवाओ ही। वह जमींदार उसको उठवाकर! है। तो उसने कहा कि अभी एक कोई भिखमंगा-सा आदमी आकर टाल्सटाय ने जब यह कहानी लिखी, तो उसने अपने संस्मरणों ठहरा है इस कमरे में-उसको निकाल बाहर कर दें? उसने कहा | | में लिखा है कि यह कहानी मेरी एक अर्थों में आटोबायोग्राफी भी कि निकाल बाहर करो। उसे पता नहीं कि वह उसका बेटा है। उसे | | है। यह मेरा आत्मस्मरण भी है। क्योंकि खुद टाल्सटाय शाही निकाल बाहर कर दिया गया। वह अपने कमरे में आराम से...। परिवार का था। उसने आदमी भेजे कि गांव में खोजो।
उसने लिखा है, मेरी मां मैं समझता था बहुत भावनाशील है। वह बेटा बाहर सीढ़ियों पर बैठा है। सर्द रात उतरने लगी। उस | लेकिन यह तो मुझे बाद में उदघाटन हुआ कि उसमें भावना जैसी गरीब लड़के ने बार-बार कहा कि मुझे भीतर आ जाने दें, बर्फ पड़ कोई चीज ही नहीं है। क्यों समझता था कि भावना थी? क्योंकि रही है और मुझे बहुत दर्द है पेट में। पर उसने कहा कि यहां गड़बड़ थिएटर में उसके चार-चार रूमाल भीग जाते थे आंसुओं से। जब
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