Book Title: Gita Darshan Part 01
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 441
________________ 9- अहंकार का भ्रम - प्रयोग करते हैं। वे कहते हैं, आदमी अंगों से प्रभावित हो तो हो, हैं। अब मेरे बस के बाहर है। क्यों? क्योंकि ये मेरे प्रियजन हैं। यह वस्त्रों से, वस्तुओं से, उन तक से प्रभावित और पागल हो जाता मेरा भी आब्सेशन है। यह मेरा भी सम्मोहन है। कौन मेरा है? कौन है। उन सबसे भी उसके संबंध जुड़ जाते हैं और उनके पीछे भी वह पराया है? उसी तरह मोहित होकर घूमने लगता है। यह जो स्थिति है चित्त की, | बिल्ली से भय है नेपोलियन को; छह महीने का हो गया वह। इस स्थिति से जो नहीं जागेगा, वह कभी धर्म के सत्य को नहीं जान | अब उसकी स्थिति न रही कि वह लड़ ले। हारा पहली दफा उसी सकता। वह सिर्फ प्रकृति के गुणों में ही भटकता रहेगा। दिन। और संभावना बहुत है कि नेल्सन ने नहीं हराया, बिल्लियों रंग मोहित करते हैं। अब रंगों में क्या हो सकता है? लेकिन भारी | ने हराया। नेल्सन की हैसियत न थी इतनी। नेपोलियन बड़ा अदभुत मोहित करते हैं। किसी को एक रंग अच्छा लगता है, तो वह दीवाना | | आदमी था। लेकिन ऐसा अदभुत आदमी भी हिप्नोटाइज्ड है। हम हो जाता है। उसको पागल किया जा सकता है, उसी रंग के साथ। सब ऐसे ही, हम सब ऐसे ही जी रहे हैं। कार हआ वानगाग. वह पीले रंग से आब्सेस्ड था। यह अर्जन को क्या हो गया। इतना बहादर आदमी. जिसे कभी पीला रंग देखे, तो पागल हो जाए। धूप में खड़ा रहे, सूरज की धूप सवाल न उठे, अचानक युद्ध के मैदान पर खड़ा होकर इतना में खड़ा रहे, क्योंकि पीली धूप बरसे। जहां पीले फूल खिल जाएं, | | शिथिल, इतना निर्वीर्य क्यों हुआ जा रहा है? हुआ जा रहा है, फिर वह घर के भीतर न आ सकता था। एक साल आरलिस की | क्योंकि बचपन से जिन्हें अपना जाना, आज उनसे ही लड़ने की धूप में खड़े होकर वह पीले रंग को देखता रहा। और इतनी धूप में नौबत है। बचपन से जिन्हें मेरा माना, आज उनसे ही लड़ने की खड़े होने की वजह से पागल हुआ, दिमाग विक्षिप्त हो गया। नौबत है। बचपन से कोई भाई था, कोई बंधु था, कोई महापिता थे, लेकिन पीला रंग उसके लिए पागलपन था। जरूर कहीं बचपन में कोई कोई था, कोई ससुर था, कोई रिश्तेदार था, कोई मित्र था, कोई कोई ट्रॉमेटिक एक्सपीरिएंस, बचपन में कभी कोई ऐसी घटना घट गुरु थे, वे सब सामने खड़े हैं। वह सब मेरा घिरकर सामने खड़ा गई, जिससे वह पीले रंग से बिलकुल आब्सेस्ड हो गया। है। और उस मेरे पर हाथ उठाने की हिम्मत अब उसको नहीं होती नेपोलियन इतना बड़ा हिम्मत का आदमी, शेर से लड़ जाए. है। ऐसा नहीं है कि वह कोई अहिंसक हो गया है। ऐसा कुछ भी लेकिन बिल्ली से डरे। सिंहों से जूझ जाए, लेकिन बिल्ली को देख नहीं है। अगर ये मेरे न होते, तो वह युद्ध में इनको जड़-मूल से ले, तो पूंछ दबाकर भाग जाए। क्या हो गया? छह महीने का | काटकर रख देता। उसका हाथ ठहरता भी नहीं। उसकी श्वास था-क्योंकि नेपोलियन जैसे आदमी की जिंदगी उपलब्ध है, | रुकती भी नहीं। वह इनको काटने में सब्जी काटने जैसा व्यवहार इसलिए जानने में आसानी है-छह महीने का था, पालने पर सोया | | करता। लेकिन कहां कठिनाई आ गई है? वह मेरा उसका था, एक जंगली बिलाव ने उसकी छाती पर पैर रख दिया। छह | | आब्सेशन है। वह मेरा उसका सम्मोहन बन गया है। महीने का बच्चा, जंगली बिलाव, छाती पर पैर-चित्र बैठ गया | कष्ण कह रहे हैं. प्रकति में गण हैं. अर्जन। और आदमी उनसे गहरे, अनकांशस में उतर गया। फिर नेपोलियन बड़ा हो गया। सब मोहित होकर जीता है। साधारण आदमी उनसे मोहित होकर जीता बात भूल गई। लेकिन बिल्ली दिखे कि नेपोलियन फिर छह महीने | | है। वही मोह उसे अंधेरे में घेरे रखता है और वही मोह उसे अंधेरे का हो जाए। बिल्ली दिखी कि वे रिग्रेस किए, वे वापस छह महीने | | में धक्का दिए चला जाता है। ज्ञानी पुरुष को एक तो अपने इस के हुए। | सम्मोहन से मुक्त हो जाना चाहिए। और कहते हैं मनोवैज्ञानिक कि नेल्सन से जिस युद्ध में | ज्ञानी पुरुष का अर्थ है, डिहिप्नोटाइज्ड, जिसको अब कोई चीज नेपोलियन हारा, उसमें नेल्सन सत्तर बिल्लियां युद्ध के मैदान में सम्मोहित नहीं करती। रुपया उसके सामने रखें, तो उसे वही दिखाई साथ बांधकर ले गया था। बिल्लियां सामने थीं, फौज पीछे थी। पड़ता है, जो है। लेकिन रुपए से जो सम्मोहित होता है, उसे रुपया और जब नेपोलियन ने बिल्लियां देखीं, अपने पास के साथी को नहीं दिखाई पड़ता। उसे न मालूम क्या-क्या दिखाई पड़ने लगता कहा, अब मेरा बस काम नहीं कर सकता, अब मैं कुछ भी नहीं | | है! वह शेखचिल्ली की कहानियों में चला जाता है। उसे रुपए में कर सकता, मेरी सूझ-बूझ खोती है। जैसे अर्जुन ने कृष्ण से कहा | | दिखाई पड़ता है कि अब एक से दस हो जाएंगे, दस से हजार हो न कि मेरा गांडीव ढीला पड़ा जाता है। मेरे गात शिथिल हुए जाते जाएंगे, हजार से करोड़ हो जाएंगे और सारी दुनिया ही जीत लूंगा

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