________________
Om मन के अधोगमन और ऊर्ध्वगमन की सीढ़ियां -
जीवित सेल हैं शरीर में। अभी तक दुनिया में कोई पुर इतना बड़ा हैं, उससे करोड़ और अरब गुने बड़े सूर्य हैं। ये जो रात को तारे नहीं है। लंदन की आबादी एक करोड़, टोकियो की सवा करोड़, | दिखाई पड़ते हैं, ये सब सूर्य हैं। छोटे-छोटे दिखाई पड़ते हैं, क्योंकि कलकत्ता की अस्सी लाख, बंबई की साठ।
बहुत दूर हैं। ये छोटे होने की वजह से छोटे नहीं दिखाई पड़ते। ये अभी मनुष्य के शरीर के बराबर पुर पृथ्वी पर बना नहीं है। सात बहुत दूर हैं, इसलिए छोटे दिखाई पड़ते हैं। बहुत बड़े-बड़े महासूर्य करोड़! क्या इससे कोई फर्क पड़ता है कि छोटे-छोटे प्राणी रहते हैं, जिनसे पछे कि हमारा भी एक सूर्य है। तो वे कहेंगे कि है, पर हैं। छोटा कौन है? बड़ा कौन है ? सब रिलेटिव मामला है। आदमी बहुत गरीब है, छोटा है। किसी गिनती में नहीं आता। कोई कोई बहुत बड़ा प्राणी है? हाथी से पूछे, ऊंट से पूछे, तो बहुत छोटा वी.आई.पी. नहीं है! प्राणी है। तो ये ऊंट या हाथी क्या कोई बहुत बड़े प्राणी हैं? पृथ्वी | लेकिन वे महासूर्य, जो इस सूर्य से भी अरबों गुने बड़े हैं, वे भी से पूछे, हिमालय से पूछे...।
क्या बहुत बड़े हैं? तो पूरे जगत से पूछे। तो अब तक वैज्ञानिक कहते सोचते होंगे शायद, हिमालय में कोई प्राण नहीं हैं। तो गलत हैं कि चार अरब सूर्यों का हमें पता चला है। मगर वह अंत नहीं है। सोचते हैं। हिमालय अभी भी बढ़ रहा है, अभी भी ग्रोथ है, अभी | उसके पार भी, उसके पार भी, बियांड एंड बियांड-कुछ अंत नहीं भी बड़ा हो रहा है। हिमालय अभी भी जवान है। सतपुड़ा और | है। यहां कौन छोटा, कौन बड़ा! सब छोटा-बड़ा रिलेटिव है। विंध्याचल बूढ़े हैं, अब बढ़ते नहीं हैं। अब सिर्फ थकते हैं और झुक | | आपके शरीर में जो जीवाणु हैं, वे भी छोटे नहीं हैं, आप भी बड़े
हैं। हिमालय अभी भी बढ रहा है। हिमालय की उम्र भी बहत नहीं हैं। सात करोड की एक शरीर में बसी हई बस्ती। और आप कम है, सबसे नया पहाड़ है। सब पुराने पहाड़ हैं। विंध्या सबसे | | सोचते हों कि इन सात करोड़ जीवाणुओं को आपका कोई भी पता ज्यादा पुराना पहाड़ है। सबसे पहले पृथ्वी पर विंध्या पैदा हुआ। | है, इनका आपको कोई भी पता है तो नहीं है। आपको इनका पता बूढ़े से बूढ़ा पर्वत है। अब उसकी ग्रोथ बिलकुल रुक गई है। अब नहीं है, इनको आपका पता नहीं है। उनको भी आपका पता नहीं है वह बढ़ता नहीं है। अब वह थक रहा है, टूट रहा है, झुक रहा है, कि आप हैं। आप जब नहीं होंगे इस शरीर में, तब भी उनमें से कमर उसकी आड़ी हो गई है। हमारे पास कहानी है, उसकी कमर बहुत-से जीवाणु जीए चले जाएंगे। मर जाने के बाद भी! आप मरते के आड़े होने की।
हैं, वे नहीं मरते। उनमें जो अमीबा हैं, बहुत छोटे हैं, वे तो मरते ही अगस्त्य की कथा है, कि मुनि गए हैं दक्षिण और कह गए हैं कि नहीं। उनकी लाखों साल की उम्र है। अगर उम्र के हिसाब से सोचें, झुका रहना; जब तक मैं लौटूं न। फिर वे नहीं लौटे। कर्म आदमी तो आप छोटे हैं, वे बड़े हैं। के हाथ में है, फल आदमी के हाथ में नहीं है। लौटना मुनि का नहीं कब्रिस्तान में दबे हुए आदमी के भी नाखून और बाल बढ़ते रहते हो सका। फिर वह बेचारा झुका है। पर यह जियोलाजिकल फैक्ट हैं। क्योंकि बाल और नाखून बनाने वाले जो जीवाणु हैं, वे आपके भी है, यह पुराण कथा ही नहीं है। विंध्या झुक गया है और अब | | साथ नहीं मरते। वे अपना काम जारी रखते हैं। उनको पता ही नहीं उसमें विकास नहीं है; बूढ़ा है। हिमालय बच्चा है।
पड़ता कि आप मर गए। वे नाखून और बाल को बढ़ाए चले जाते हिमालय से पूछे, ऊंट, हाथी! वह कहेगा, बहुत छोटे प्राणी हैं। हैं। और जब आप मरते हैं, तो सात करोड़ कीटाणुओं की संख्या खुर्दबीन से देखू तब दिखाई पड़ते हैं, नहीं तो नहीं दिखाई पड़ते। | | में कमी नहीं होती है और बढ़ती हो जाती है। आपके मरने से जगह पृथ्वी से पूछे कि हिमालय की कुछ खबर है! वह कहेगी, ऐसे कई खाली हो जाती है और हजारों कीटाण प्रवेश कर जाते हैं। जिसको हिमालय पैदा हुए, आए और गए। सब मेरे बेटे हैं, मुझ में आते | आप सड़ना कहते हैं, डिटेरियोरेशन, वह आपके लिए होगा; नए हैं, समा जाते हैं। धरित्री—वह मां है। लेकिन पृथ्वी कोई बहुत बड़ा कीटाणुओं के लिए तो जीवन है। प्राण रखती है! तो सूरज से पूछे। सूरज साठ लाख गुना बड़ा है यह पुर, इसमें जो बीच में बसा है इस नगर के, वह पुरुष। यह पृथ्वी से। उसे दिखाई भी नहीं पड़ती होगी पृथ्वी। साठ लाख गुने | | पुरुष दो तरह से हो सकता है : पर-आयत्त हो सकता है, स्वायत्त बड़े को कैसे दिखाई पड़ेगी?
हो सकता है। जब यह वासनाग्रस्त होता है, तो यह दूसरे को केंद्र ___ पर सूरज कोई बहुत बड़ा है? मत इस खयाल में पड़ना। बहुत | | बनाकर घूमने लगता है। सैटेलाइट हो जाता है। मीडियाकर स्टार है, बहुत मध्यमवर्गीय है। उससे बहुत बड़े सूर्य जैसे चांद है। चांद सैटेलाइट है। वह जमीन को केंद्र बनाकर
279