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Om निष्काम कर्म और अखंड मन की कीमिया
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हूं कि आग में हाथ डालने से हाथ जल जाता है। और जिसने आग गांव है। शायद वह जान ले। में हाथ डालकर जाना है, वह भी कहता है, मैं जानता हूं कि आग फिर उसे ले गए। स्टेशनों पर उसे उतारकर खड़ा कर देते, वह में हाथ डालने से हाथ जल जाता है।
देखता रह जाता; कुछ याद न आता। फिर तो जो ले गए थे घुमाने, इन दोनों के वचन एक-से हैं, लेकिन इन दोनों की मनःस्थिति वे भी थक गए। एक छोटे स्टेशन पर, जिस पर उतरकर देखने का एक-सी नहीं है। और जिसने सिर्फ सुना है, वह कभी हाथ डाल इरादा भी नहीं है, गाड़ी खड़ी है, चलने को है। उस आदमी ने खिड़की सकता है। और जिसने जाना है, वह कभी हाथ नहीं डाल सकता | से झांककर देखा और उसने कहा, मेरा गांव! उतरा, बताना ही भूल है। और जिसने सिर्फ सुना है, वह कभी हाथ डालकर कहेगा कि | गया, कि जो साथ थे उनको बता दे। भागा, सड़क पर आ गया। जानता तो मैं था कि हाथ डालने से हाथ जल जाता है, फिर मैंने | चिल्लाया, मेरा घर! दौड़ा, गली में पहुंचा। दरवाजे के सामने खड़े हाथ क्यों डाला? वह जानने में भूल कर रहा है। दूसरे से मिला | | होकर कहा, मेरी मां! लौटकर पीछे देखा, साथी पीछे भागकर आए हुआ जानना, जानना नहीं हो सकता।
| हैं। उनसे बोला, यह रहा मेरा नाम। याद आ गया। जिस जानने की सांख्य बात करता है, जिस नोइंग की सांख्य सांख्य कहता है, आत्मज्ञान सिर्फ रिमेंबरेंस है, सिर्फ स्मरण है। बात करता है, वह वह जानना है, जो उधार नहीं है। इस जानने से कुछ खोया नहीं है, कुछ मिटा नहीं है, कुछ गया नहीं है, कुछ नया क्या हो जाएगा? एक छोटी-सी कहानी से बात समझाने की | बना नहीं है, सिर्फ स्मृति खो गई है। और जिसे हम जानने जा रहे कोशिश करूं।
हैं, अगर वह नया जानना है, तब तो फिर कुछ और करना पड़ेगा। दूसरे महायुद्ध में ऐसा हुआ कि एक आदमी युद्ध-स्थल पर लेकिन अगर वह भूला हुआ ही है, जिसे पुनः जानना है, तब कुछ आहत हो गया। जब होश में आया बेहोशी से, तो पता चला कि करने की जरूरत नहीं है, जान लेना ही काफी है उसे सब स्मरण भल गया है. वह अपना सब अतीत भल चका है। तो कष्ण ने कहा कि अभी जो मैंने तझसे कहा अर्जन. वह सांख्य उसे यह भी पता नहीं है कि उसका नाम क्या है! कठिनाई न आती, | की दृष्टि थी। इस पूरे वक्त कृष्ण ने सिर्फ स्मरण दिलाने की क्योंकि सेना में नाम की कोई जरूरत नहीं होती। लेकिन उसका कोशिश की, कि आत्मा अमर है; न उसका जन्म है, न उसकी मृत्यु नंबर भी खो गया युद्ध के स्थल पर।
है। स्मरण दिलाया कि अव्यक्त था, अव्यक्त होगा, बीच में व्यक्त सेना में तो आदमी नंबर से जाना जाता है, सेना में नाम से नहीं | का थोड़ा-सा खेल है। स्मरण दिलाया कि जो तुझे दिखाई पड़ते हैं, जाना जाता। सुविधा है नंबर से जानने में। और जब पता चलता है। | वे पहले भी थे, आगे भी होंगे। स्मरण दिलाया कि जिन्हें तू मारने कि ग्यारह नंबर आज मर गया, तो कोई तकलीफ नहीं होती। | के भय से भयभीत हो रहा है, उन्हें मारा नहीं जा सकता है। क्योंकि नंबर के न बाप होते, न मां होती, न बेटा होता। नंबर का | ___ इस पूरे समय कृष्ण क्या कर रहे हैं? कृष्ण अर्जुन को, जैसे उस कोई भी नहीं होता। नंबर मर जाता है, मर जाता है। तख्ती पर सूचना | | सिपाही को घुमाया जा रहा है इंग्लैंड में, ऐसे उसे किसी विचार के लग जाती है कि इतने नंबर गिर गए। किसी को कहीं कोई पीड़ा नहीं लोक में घुमा रहे हैं कि शायद कोई विचार-कण, कोई स्मति चोट होती। नंबर रिप्लेस हो जाते हैं। दूसरा नंबर ग्यारह नंबर उसकी | कर जाए और वह कहे कि ठीक, यही है। ऐसा ही है। लेकिन ऐसा जगह आ जाता है। किसी आदमी को रिप्लेस करना मुश्किल है,। वह नहीं कह पाता। लेकिन नंबर को रख देना नंबर की जगह कोई कठिन नहीं है। यह वह शिथिल गात, अपने गांडीव को रखे, उदास मन, वैसा ही मिलिटरी तो नंबर से चलती है। दफ्तर में नाम होते हैं, रजिस्टर में। हताश, विषाद से घिरा बैठा है। वह कृष्ण की बातें सुनता है। वह
लेकिन उसका नंबर भी खो गया है। उसे नाम याद नहीं रहा। उसे पूरे इंग्लैंड में घुमा दिए—हर स्टेशन, हर जगह। कहीं भी उसे अब वह कौन है ? अब क्या करें? उसे कहां भेजें? उसका घर कहां स्मरण नहीं आता कि वह दौड़कर कहे, कि यह रहा मैं; ठीक है, है? उसके मां-बाप कहां हैं? बहुत कोशिश की, खोज-बीन की, | बात अब बंद करो, पहचान आ गई; रिकग्नीशन हुआ, प्रत्यभिज्ञा कुछ पता नहीं चल सका। फिर आखिर किसी ने सुझाव दिया कि हई, स्मरण आ गया है। ऐसा वह कहता नहीं। वह बैठा है। वह एक ही रास्ता है कि उसे इंग्लैंड के गांव-गांव में घुमाया जाए। | रीढ़ भी नहीं उठाता; वह सीधा भी नहीं बैठता। उसे कुछ भी स्मरण शायद कहीं उसे देखकर याद आ जाए कि यह मेरा घर है, यह मेरा | नहीं आ रहा है।
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