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am गीता दर्शन भाग-1-m
जीवन-ऊर्जा को सहयोगी बनाता है। वह इतना नहीं कहता कि मैं | महीने सब चलाना था। नहीं माने। तो भोजन तो किसी तरह चला ही लड़ लूंगा, मैं ही कर लूंगा।
| थोड़ा-थोड़ा देकर, लेकिन सिगरेट सबसे पहले चुक गई। क्योंकि कभी इस तत्व को थोड़ा-सा समझ लें और प्रयोग करके देखें। | कोई सिगरेट कम करने को राजी न था। सिगरेट मैं पीता हूं, तो मैं सोचता हूं, मैं ही सिगरेट छोडूंगा। लेकिन | फिर एक बड़ा खतरा आया। और वह खतरा यह आया कि मेरा सिगरेट पीने वाला पचास साल पुराना है और मेरा सिगरेट लोगों ने नावों की रस्सियां काट-काटकर सिगरेट बनाकर पीना छोड़ने वाला मैं एक क्षण का है। तो मेरा सिगरेट छोड़ने वाला मैं | शुरू कर दिया। तब तो जो जहाज का कप्तान था, उसने कहा कि हार जाएगा। लेकिन मैं कहता हूं, सिगरेट पीने वाला पचास साल | तुम क्या कर रहे हो यह? अगर नावों की रस्सियां कट गईं, तो फिर पुराना है, इंद्रियों की आदत मजबूत है, हमला बार-बार होगा; | तीन महीने के बाद भी छुटकारा नहीं है। क्योंकि फिर ये नावें चलेंगी आज का एक क्षण का मैं तो बहुत कमजोर हूं-मैं परमात्मा पर | कैसे? पर लोगों ने कहा कि तीन महीना! तीन महीने के बाद छोड़ता हूं, तू ही मुझे सिगरेट पीना छुड़ा दे।
छटकारा होगा कि नहीं होगा. यह कछ भी पक्का नहीं है। सिगरेट यह भी अहंकार नहीं लेता हूं कि मैं छोडूंगा। क्योंकि जो यह अभी चाहिए। और हम बिना सिगरेट के तीन महीने बचेंगे, यह अहंकार लेगा कि मैं छोडूंगा, तो वह अहंकार कहां जाएगा जिसने | कहां पक्का है ? और तीन महीने तड़पना और रस्सियां बंधी हैं पास पचास साल कहा है कि मैं पीता हूं। उस अहंकार के मुकाबले यह | में जिनको पीया जा सकता है। सिगरेट तो नहीं होतीं, लेकिन फिर छोड़ने वाला अहंकार छोटा पड़ेगा और हारेगा। इस छोड़ने वाले भी धुआं तो निकाला ही जा सकता है। तो नहीं, असंभव है। बहुत अहंकार को परमात्मा के चरणों में रखना जरूरी है। इसे कह देना | समझाया, तो रात चोरी से रस्सियां कटने लगीं। जरूरी है कि तू सम्हाल। सिगरेट मैंने पी, अब छोड़ना चाहता हूं। फिर जब वह नाव लौटी, तो उसके कप्तान ने जो वक्तव्य लेकिन अकेला बहुत कमजोर हूं। तू साथ देना। जब मैं सिगरेट | दिया, उसने कहा कि सबसे कठिन कठिनाई जो तीन महीने में पीऊं, तब तू साथ देना।
आई, वह यह थी कि लोग सिगरेट की जगह रस्सियां पी गए, और जब सिगरेट पीने का वापस जोर आए, तब यह मत सोचना | कपड़े जलाकर पी गए, किताबें जलाकर पी गए। जो भी मिला, कि अब क्या करूं और क्या न करूं! तब बजाय सिगरेट के उसको पीते चले गए। पक्ष-विपक्ष में सोचने के परमात्मा के समर्पण की तरफ ध्यान देना। एक आदमी अखबार में पढ़ रहा था। एक स्टुअर्ट पैरी नाम का ध्यान देना कि अब वह सिगरेट फिर पुकार रही है, अब तू सम्हाल! | आदमी अखबार में यह पढ़ रहा था। पढ़कर उसे खयाल आया
और जैसे ही परमात्मा का स्मरण और समर्पण का स्मरण, जैसे ही | वह भी चेन स्मोकर था, जब पढ़ रहा था, तब सिगरेट पी ही रहा विराट के प्रति समर्पण का स्मरण, कि ऊर्जा इतनी हो जाती है, था-उसे खयाल आया कि मेरी भी यही हालत होती क्या? क्या अनंत की ऊर्जा हो जाती है, कि पचास साल क्या पचास जन्मों की | मैं भी रस्सी पी जाता? उसने कहा कि नहीं, मैं कैसे रस्सी पी सकता आदत भी कमजोर हो जाती है। टूट जाती है।
था? आप भी कहेंगे कि मैं कैसे रस्सी पी सकता था? पर उसने एक छोटी-सी घटना, उससे आपको स्मरण आ जाए। कोई | कहा कि वहां भी तीस-चालीस लोग थे, कोई हिम्मत न जुटा पाया, उन्नीस सौ दस में एक वैज्ञानिकों का अन्वेषक-मंडल उत्तरी ध्रुव पर | सबने पी! क्या मैं भी पी जाता! यात्रा पर गया। उत्तरी ध्रुव में तीन महीने तक वे लोग फंस गए बर्फ | उसकी आधी जली हुई सिगरेट थी। उसने ऐश-ट्रे पर नीचे रख में और लौट न सके। भोजन चुक गया। बड़ी मुश्किल थी, बड़ी दी और उसने कहा कि परमात्मा, अब तू सम्हाल। अब यह सिगरेट कठिनाई थी।
| आधी रखी है नीचे। और अब मैं इसे उसी दिन उठाऊंगा, जिस दिन लेकिन सबसे बड़ी कठिनाई तब हुई, जब सिगरेट चुक गई। मेरा तुझ पर भरोसा खो जाए। और जब मैं इसे उठाने लगे, तो मेरी लोग कम रोटी लेने को राजी थे, लेकिन कम सिगरेट लेने को राजी | | तो कोई ताकत नहीं है, क्योंकि मैं अपने को अच्छी तरह जानता हूं, नहीं थे। लोग कम पानी पीने को राजी थे, लेकिन कम सिगरेट लेने कि मैं तो एक सिगरेट से दूसरी सिगरेट जलाता हूं। मैं अपने को को राजी नहीं थे। लेकिन कोई उपाय न था। नावें फंसी थीं बर्फ में। भलीभांति जानता हूं, जैसा मैं आज तक रहा हूं, मैं भलीभांति और तीन महीने से पहले निकलने की संभावना न थी। और तीन जानता हूं कि यह सिगरेट नीचे नहीं रह सकती, मैं इसे उठा ही
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