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+ आत्म-विद्या के गूढ़ आयामों का उदघाटन -
संकल्प ही एकमात्र सक्रियता है। संकल्प है कि हम जगत में जाएं, | | के लिए या स्टैलिन के लिए या गांधी के लिए या अलबर्ट शवित्जर तो हम आ गए। जिस दिन संकल्प होगा कि उठ जाएं वापस, उसी के लिए, इस तरह के लोगों के लिए जन्म एक मृत्यु के बाद काफी दिन हम वापस लौट जाते हैं। लेकिन जगत का अनुभव, लौटने के | समय ले लेता है-जब तक योग्य गर्भ उपलब्ध न हो। तो बुरी संकल्प के लिए जरूरी है।
आत्माएं और अच्छी आत्माएं, एक्सट्रीमिस्ट; जिन्होंने बुरे होने का | ठेका ही ले रखा था जीवन में, ऐसी आत्माएं; जिन्होंने भले होने का
ठेका ले रखा था, ऐसी आत्माएं-इनको रुक जाना पड़ता है। प्रश्नः भगवान श्री, बहुत सारे श्रोताओं की जिज्ञासा | जो इनमें बुरी आत्माएं हैं, उनको ही हम भूत-प्रेत कहते हैं। और मंडराती है इस प्रश्न के बारे में। क्या एस्ट्रल बाडी और । | इनमें जो अच्छी आत्माएं हैं, उनको ही हम देवता कहते रहे हैं। ये प्रेतात्मा एक ही चीज हैं? क्या ऐसी प्रेतात्मा दूसरे स्थूल काफी समय तक रुक जाती हैं, कई बार तो बहुत समय तक रुक शरीर में प्रवेश करके परेशान कर सकती है? उसका | जाती हैं। हमारी पृथ्वी पर हजारों साल बीत जाते हैं, तब तक रुक क्या उपाय है? बहुत सारे श्रोताजनों ने यह पूछा है। | जाती हैं।
पूछा है कि क्या ये दूसरे के शरीर में प्रवेश कर सकती हैं?
कर सकती हैं। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में जितनी संकल्पवान सा मैंने कहा, साधारण व्यक्ति, सामान्यजन, जो न आत्मा हो, उतनी ही रिक्त जगह नहीं होती। जितनी विल पावर की बहुत बुरा है, न बहुत अच्छा है...। चार तरह के लोग आत्मा हो, उतनी ही उसके शरीर में रिक्त जगह नहीं होती, जिसमें
हैं। साधारणजन, जो अच्छाई और बुराई के मिश्रण हैं। कोई दूसरी आत्मा प्रवेश कर सके। जितनी संकल्पहीन आत्मा हो, असाधारणजन, जो या तो शुद्ध बुराई हैं अधिकतम या शुद्ध उतनी ही रिक्त जगह होती है। अच्छाई हैं अधिकतम। तीसरे वे लोग, जो न बुराई हैं, न अच्छाई इसे थोड़ा समझना जरूरी है। जब आप संकल्प से भरते हैं, तब हैं—दोनों नहीं हैं। इनके लिए क्या नाम दें, कहना कठिन है। चौथे | । आप फैलते हैं। संकल्प एक्सपैंडिंग चीज है। और जब आपका
वे लोग, जो बुराई और अच्छाई में बिलकुल समतुल हैं, बैलेंस्ड | संकल्प निर्बल होता है, तब आप सिकुड़ते हैं। जब आप हीन-भाव हैं। ये तीसरे और चौथे लोग ऐसे हैं, जिनकी जन्म की यात्रा बंद हो | से भरते हैं, तो सिकुड़ जाते हैं। यह बिलकुल सिकुड़ने और फैलने जाएगी। उनकी हम पीछे बात करेंगे। पहले और दूसरे लोग ऐसे हैं, | की घटना घटती है भीतर। जिनकी जन्म की यात्रा जारी रहेगी।
तो जब आप कमजोर होते हैं, भयभीत होते हैं, डरे हुए होते हैं, जो पहली तरह के लोग हैं—मिश्रण; अच्छे भी, बुरे भी, दोनों | | आत्मग्लानि से भरे होते हैं, आत्म-अविश्वास से भरे होते हैं, स्वयं ही एक साथ; कभी बुरे, कभी अच्छे; अच्छे में भी बुरे, बुरे में भी | | के प्रति अश्रद्धा से भरे होते हैं, स्वयं के प्रति निराशा से भरे होते अच्छे; सबका जोड़ हैं; निर्णायक नहीं, इनडिसीसिव: इधर से | हैं, तब आपके भीतर का जो सूक्ष्म शरीर है, वह सिकुड़ जाता है। उधर डोलते रहते हैं इनके लिए साधारणतया मरने के बाद | और आपके इस शरीर में इतनी जगह होती है फिर कि कोई भी तत्काल गर्भ मिल जाता है। क्योंकि इनके लिए बहुत गर्भ उपलब्ध | आत्मा प्रवेश कर सकती है। आप दरवाजा दे सकते हैं। हैं। सारी पृथ्वी इन्हीं के लिए मैन्युफैक्चर कर रही है। इनके लिए __ आमतौर से भली आत्माएं प्रवेश नहीं करती हैं। नहीं करने का फैक्टरी जगह-जगह है। इनकी मांग बहुत असाधारण नहीं है। ये | | कारण है। क्योंकि भली आत्मा जिंदगीभर ऐंद्रिक सुखों से मुक्त जो चाहते हैं, वह बहुत साधारण व्यक्तित्व है, जो कहीं भी मिल होने की चेष्टा में लगी रहती है। एक अर्थ में, भली आत्मा शरीर सकता है। ऐसे आदमी प्रेत नहीं होते। ऐसे आदमी तत्काल नया | से ही मुक्त होने की चेष्टा में लगी रहती है। लेकिन बुरी आत्मा के शरीर ले लेते हैं।
| जीवन के सारे अनुभव शरीर के सुख के अनुभव होते हैं। और बुरी लेकिन बहुत अच्छे लोग और बहुत बुरे लोग, दोनों ही बहुत आत्मा, शरीर से बाहर होने पर जब उसे नया जन्म नहीं मिलता, तो समय तक अटक जाते हैं। उनके लिए उनके योग्य गर्भ मिलना | | उसकी तड़फन भारी हो जाती है; उसकी पीड़ा भारी हो जाती है। मुश्किल हो जाता है। जैसा मैंने कहा कि हिटलर के लिए या चंगेज | | उसको अपना शरीर तो मिल नहीं रहा है, गर्भ उपलब्ध नहीं है,
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