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चाहिये। सरकार टैक्स क्या ले जाय ? उसे तो ऐसे सफाई बन्द तैयार किये हुए बनावटी चोपड़े ही दिखाने चाहिये कि वह हवा खाय । तव भा यदि अफसर चूचा करे तो उसे किसी गुण्डे द्वारा उड़ा देना चाहिये।' आदि । संरक्षणानुबन्धी ध्यान में बोले; 'आज तो बिजली आदि के साधन प्राप्त हैं। उन्हें काम में लगा कर पसे तिजोरी में इस तरह रखना चाहिये कि जिससे उन्हें चुराने वाला मरे'....इत्यादि। ___ जैसे वचनों से हिंसादि में उपयोग वाला हो, वैसे ही कायाशरीरं से हिसादि में इसी तरह लगा हुआ हो। उदा० आंखों में खुत्रस रहता हो, हाय में छुरा आदि रखकर किसी पर उठाता हो, खोपड़ी तोडने के लिए मुक्का उठाया हो, गुण्डाओं की सहायता लेकर आ खड़ा हो....आदि। ___ इस तरह वचन व काया के प्रयोग से हिंसा मृषादि में लगा रहता हो और हिंसानुबन्धी आदि में प्रवृत्ति उत्सन्न, बहुल, नानाविध और आमरण ऐसे चार दोष वाली हो, तो वे रौद्रध्यान के लिंग, लक्षण है, ज्ञापक (बताने वाले) चिह्न हैं। इससे समझ में आवेगा कि उसके अन्तर में रौद्रध्यान की प्रवृत्ति है।
(१) उत्सन्न दोष-अर्थात् हिंसादि चारों में से किसी भी एक में सतत, अधिकांश बहुत प्रवृत्ति करता हो अर्थात् बार बार हिंसा करे, हिंसा का बोले या झूठ का समर्थन करे इत्यादि । अथवा
(२) बहल दोष-याने मात्र एक में ही नहीं, पर हिंसादि चारों में वाणी तथा बर्ताव से बार-बार प्रवृत्ति करता हो। या
(३) नानाविध दोष-अर्थात् हिंसादि के अनेक उपायों में प्रवृत्ति करता हो। उदा० चमड़ी उखाड़ना, आंखें फोडना आदि