________________
( १५३ )
बगुले से तालाब पहचाना जाता है। दृष्ट साधय॑वत् में (१) सामान्य याने एक से ज्यादा का अनुमान (२) विशेष याने ज्यादा पर से एक विशेष को जाने अथवा दृष्ट साधर्म्य० में १ अतीत को लेकर (भरी हुई नदियों से पहले अच्छी वर्षा हुई यह जानना), २ वर्तमान को ले कर ( प्रचुर दान देख कर सुभिक्ष जाने ), तथा भविष्य को ले कर (प्रशस्त वायु आदि से सुवृष्टि का सोचे ।)
उपमान प्रमाण में दो बातें आती हैं । (१) साधर्म्य तथा (२) वैधर्म्य ।
साधर्म्य से (१) यत्किचित् साधर्म्य, उदा. मेरु जैसी सरसों, दोनों मूर्त होने से, (२) प्रायः साधर्म्य, उदा० गाय जैसा बछड़ा, (३) सव साधर्म्य, उदा० अरिहंत जैसे अरिहंत । वैधर्म्य में (१) किंचित् वैधयं. उदा० काली गाय के काला बछड़ा और उसके विरुद्ध सफेद गाय का सफेद । (२) प्रायः वैधर्म्य, उदा० पायस विरुद्ध पायस ( जिसमें मात्र अन्तिम दो अक्षर और अस्तित्व की दृष्टि से हो समानता है बाकी सब वैधयं है ) (३) सर्व वैधर्म्य, उदा० गुरुघातक जैसा तो नोच भी नहीं होता।
आगम प्रमाण में (१) १ लौकिक महाभारत आदि, २ लोकोत्तर आचारांग आदि । अथवा (२) १ सूत्र-आगम,२ अर्थागम १ तदुभय आगम, अथवा (१), आत्मागम-अर्थ से तीर्थङ्कर को, तथा सूत्र से गणधर को २. अनन्तर आगम अर्थ से गणधर को, और ३. परम्पर आगम जम्बू स्वामी को मिला। ___भाव प्रमाण में जीवगुण-प्रमाण के १ भेद ज्ञानगुण प्रमाण के बारे में यह बात हुई । अब
दशनगुण प्रमाण के चार भेद हैं : चक्षुर्दर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधि दर्शन तथा केवल दर्शन ।