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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ डॉ. स्व. श्री दयाचंद जी साहित्याचार्य की पावन स्मृति में
उनके पावन चरणों में विनयांजलि
हम वंदन करते हैं, हम अभिनंदन करते हैं। श्री कृपासिन्धु गुरुवर को, कोटिशः वंदन करते हैं ॥ टेक॥ मात पिता के आप दुलारे, कुल के भी उजियारे थे। श्री श्रुत सागर, माणिक के प्यारे, धरम अमर के आप सहारे ।। हम वंदन करते हैं। आप गुरु श्री दया के सागर, श्रीगुरुवर आप ज्ञान के आगर । दयादान की कृपा दृष्टि से, बर्षाई गुरु ज्ञान की धार ॥ हम वंदन करते हैं ॥2॥ आप सन्मार्ग प्रदर्शक गुरुवर, भटकों को राह दिखाई है। पथिकों ने सुपथ पर चलकर, जीवन बगिया महकाई है। हम वंदन करते हैं ।।३॥ परम मनीषी आप गुरु जी, अध्यात्म के मर्मस्पर्शी थे। आप की मधुर वाणी थी, जन जन को सुखकारक थे। हम वंदन करते हैं ।।4।। परम हितैषी भी आप गुरुवर, भव्य जीवन का कल्याण किया। दयासिन्धु श्री गुरु चरणों को, हम सबने हिय में धार लिया ॥ हम वंदन करते हैं ॥1॥ विद्वत्वर्य थे आप भी गुरुवर, कुशल प्रशासक भी थे श्री गुरु । "चंद्र" अश्रुपूरित विनयांजलि अर्पण करता, चरण कमल में नमन करूं। हम वंदन करते हैं , अभिनंदन करते हैं। श्री दयासिन्धु गुरुवर को, कोटिशः वंदन करते हैं। टेक ॥
विनयावनत चरण चंचरीक शिष्य
पं. तारा चंद्र "शास्त्री" शिक्षक, मु.पो. डोंगरगाँव जिला राजनांदगाँव
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