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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ (4) अण्डे की सफेदी हाजमे के रसों को बिगाड़कर हाजमा खराब करती है।
(वरनन,हैटिन, वायलिस-लंदन यूनिवर्सिटी) (5) अण्डे टी.बी. , पेचिस आदि छूत के रोगों को पैदा करते हैं।
(डॉ. रोवर्ट ग्राम) (6) अण्डे अंतड़ियों के कीटाणुओं को जहरीला बनाकर भयंकर रोग पैदा करते हैं ।
(डॉ. जे.ई.आर.मैकडोनाग, एफ.आर.सी.एस.) अण्डा गंदगी से भरा है, अण्डा पेशाब की जगह से निकलता है, और उस घृणित रजवीर्ण से भरा है जिसे आदमी छूना तक पसंद नहीं करता, खाने की बात तो दूर रही
(डॉ. कामता प्रसाद) अण्डा विष है, एक अण्डे में लगभग 4 ग्रेन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा पाई गई है, जिसकी अधिकता से दिल की बीमारी, हाइ ब्लड प्रेशर, गुरदे की बीमारी, धमनियों में (रगों में ) जख्म पैदा हो जाते हैं । अण्डे से टी.बी. और ऐग्जिमा की भी बीमारी फैलती है।
(Dr. J.F.R.N.E.DEMAGH) (9) मिस्टर हैरासन ब्राऊन ने “चैलेन्ज ऑफ मेन्स फ्युचर' नामक पुस्तक में कहा है कि मांस की
अपेक्षा दूध में, उतने ही रुपयों में जितने की मांस पर खर्च किये जाते हैं, ढाई गुना प्रोटीन मिलता है
और वह प्रोटीन मांस की अपेक्षा ज्यादा उपयोगी एवं लाभप्रद है। (10) भारत केसरी मास्टर चन्दगीराम के विचार - अण्डा, मछली , मांस, शराब एवं तम्बाकू सेहत
और दिमाग के बर्बादी के कारण है और ये भारतवासियों के लिए सर्वथा प्रतिकूल है। मछली एवं मांस जहर है इसमें एसिड (तेजाब) यूरिया और यूरिक एसिड विष की काफी मात्रा पाई गई है। जिसके कारण कैंसर, टी.वी., पेट के कीड़े, बुखार, पथरी, लकवा, एपैण्डे साइटिस, गुरदे की कमजोरी, मिर्गी (हिस्टीरिया), मलेरिया न्युमोनिया, इनफ्लुएन्जा आदि रोग उत्पन्न होते है।
(Dr. Alexander Halg M.A.M.D.F.R.C.S. England) (12) डॉ. प्रकाश चंद्र माहेश्वरी ने "स्लाटर हाऊस एट आगरा (हजरतपुर) एन अन प्रेग मेटिक डिसीजन"
नामक पुस्तक में सप्रमाण सिद्ध किया है कि आर्थिक दृष्टि से राष्ट्र को मांसोत्पादन से हानि है । (जनकल्याण समिति 1443. मालीवाड़ा दिल्ली द्वारा प्रकाशित पोस्टर नं. 6 एवं 7 के आधार पर
साभारउद्धृत) (संयोजक - विश्वमानव परिषद् आगरा) उपसंहार - जो आत्मा तीर्थकर प्रकृति के प्रभाव से आत्म कल्याण के साथ विश्व में धर्म तीर्थ का विशेष प्रवर्तन
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