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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ बीजाक्षरों की निष्पत्ति भी इसी महामंत्र से होती है, इसी कारण इस मूल मंत्र से हजारों मंत्रों का जन्म होता है। इसके विषय में आ. जयसेन का मत
____ हलो बीजानि चोक्तानि, स्वराः शक्तय ईरिता: । ___ सारांश - ककार से लेकर हकार पर्यन्त व्यंजनवर्ण वीन संज्ञक कहे जाते हैं। और अकारादि स्वर शक्तिरूप कहे जाते है। मंत्र बीजों की निष्पत्ति बीज और शक्ति के संयोग से होती है। इसलिए इस महामंत्र में सम्पूर्ण ध्वनियों की शक्तियाँ ध्वनित होती हैं। इसमें श्रुतज्ञान के समस्त अक्षरों का समावेश हो जाता है अत: यह महामंत्र द्वादशांग श्रुतज्ञान का सार है । इसमें अहिंसा , अनेकान्त, अपरिग्रहवाद, अध्यात्मवाद, तत्त्व, पदार्थ, द्रव्य, प्रमाण, नय, मुक्ति और मुक्तिमार्ग आदि संपूर्ण लोक कल्याणकारी सिद्धांत ध्वनित होते हैं। महामंत्र का संक्षिप्तरूप और उसकी सिद्धि -
यदि कोई संक्षिप्त रूचि वाला व्यक्ति महामंत्र को एक अक्षर में कहने की इच्छा व्यक्त करता है तो आचार्यो ने महामंत्र का लघुरूप शास्त्रों में दर्शाया है । 35 अक्षरों वाले मंत्र को एकाक्षर मंत्र बनाने का
रोते हैं।
चमत्कार -
अरहंता असरीरा, आइरिया तह उवज्झया मुणिणो ।
पढमक्खरणिप्पण्णो, ओंकारों पंच परमेष्ठी ।।" भावसौन्दर्य - 'नामैकदेशेन नाम मात्र ग्रहणम्' अर्थात् नाम के एक देश से भी संपूर्ण नाम का ग्रहण या व्यवहार होता है इस नीति के अनुसार अरहन्त का अ, अशरीर (सिद्ध) का अ, इस प्रकार अ + अ = आ, 'अकः सवर्णे दीर्घ: इस सूत्र से एक दीर्घ आ हो गया । आचार्य का आ + आ(पूर्वका) वहाँ पर भी पूर्व सत्र से आ + आ = आ हो गया। पश्चात उपाध्याय का 'उ' आटगण इस सत्र से आ +उ: ओ आदेठा गया । मुनि (साधु) का प्रथम अक्षर म्। यहाँ पर मंत्र शास्त्र के अनुसार म् को अनुस्वार होने पर ‘ओं' यह एकाक्षर मंत्र सिद्ध होता है। इसी ओं को औंकार कहते हैं। शास्त्र प्रवचन के आदि में मंगलाचरण इस तरह प्रसिद्ध है -
ओंकारं बिन्दुसंयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः ।
कामदं मोक्षदं चैव, ओंकाराय नमो नम: ॥1॥ विज्ञान के आलोक में महामंत्र का महत्व -
भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित आत्मिक विज्ञान बहुत सूक्ष्म एवं व्यापक है। उसकी तुलना आधुनिक भौतिक विज्ञान नहीं कर सकता । भौतिक विज्ञान जिस सीमा पर समाप्त होता है उस सीमा से आत्मिक विज्ञान प्रारंभ होता है । तथापि अनेक दृष्टियों से आध्यात्मिक विज्ञान और भौतिक विज्ञान, अधिकांश तत्वों में साम्य रखता है। नीचे कुछ वैज्ञानिकों के उद्धरण दिये जाते हैं जिनसे महामंत्र का महत्व प्रतीत होता है
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