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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ इस्लाम धर्म -
इस धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब पैगम्बर है उन्होंने ईमान ग्रहण करने पर जोर दिया। ईश्वर न्याय दिवस पर व पैगम्बर पर विशेष श्रृद्धा रखना चाहिए। परोपकार करना चाहिए। आत्मशुद्धि के लिए चार कर्तव्य दर्शायें हैं - नमाज पढ़ना, रोजा,हज एवं जकात । सूफीसम्प्रदाय -
आत्मा ज्ञान तथा आनंदमय है। आत्मा ईश्वर के समान शुद्ध है हलाज के मंसूर नामी विख्यात सूफी ने - साधारण जनता से कह दिया कि “मैं ईश्वर हूँ" इस कथन से उसे प्राण दण्ड दिया गया। इससे सिद्ध होता है कि पात्र को उपदेश दिया जाये अपात्र को नहीं।
कुरान की आयतों (पदों) से स्पष्ट है कि ईश्वर किसी के साथ अन्याय नहीं करता मनुष्य जैसे कर्म करता है उसी के अनुसार वह फल देता है।
मनुष्य के अतिरिक्त पशु-पक्षियों में भी आत्मा मानी है । कुरान अध्याय 24 में कहा है कि "क्या तू नहीं देखता कि पृथ्वी व स्वर्ग के समस्त प्राणी ईश्वर की स्तुति करते है और पक्षी भी अपने पैर फैलाकर स्तुति करते है।"
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