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आगम संबंधी लेख
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ किसी की हार के पक्ष में खड़े हो जाते हैं । व्यापार के नाम पर पापोपदेश खूब चल रहा है। अब व्यवसायिक हिंसा को लोग हिंसा नहीं मानते । प्रमाद चर्या भी बढ़ी है। भूमि खनन, वृक्षों की कटाई और जल का अपव्यय बहुत होने लगा है। हिंसा के उपकरण बनाये भी जा रहें हैं और बेचे भी जा रहे हैं। परिणामों से बेखबर हम, हमारा समाज और हमारी सरकारें हिंसा की निंदा करते हैं किन्तु प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष हिंसा को बढ़ावा देती हैं। खोटी कथा कहानियाँ रोज छाप रही हैं और लाखों की संख्या में वितरित भी हो रही है ।
पत्र-पत्रिकाएँ राग द्वेषात्मक कथाओं से पटी पड़ी है जिनके कारण हिंसा, चोरी, कुशील आदि पापों में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है । यह सब कार्य राष्ट्र विरोधी है अतः जो श्रावक इन अनर्थ दण्डों को नहीं करता है वह राष्ट्र कल्याण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है।
श्रावक व्यसन मुक्त जीवन जीता है। वह नशीली वस्तुओं- शराब, चरस, गांजा, अफीम, हेरोईन, बीड़ी सिगरेट, मांस मधु से दूर रहता है। आज मद्य सब जगह उपलब्ध है। दूध मिलना भले ही दूभर हो गया हो। मांस के लिए हमारे पशुधन को नष्ट किया जा रहा है जिससे खेती और पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। मांस के लिए अनाज की बलि दी जा रही है। जो उचित नहीं है ।
जैन श्रावक इन विकृतियों से दूर रह कर राष्ट्र का बहुत बड़ा कल्याण करता है। शराब के नशे में होने वाले हिंसक व्यवहार के कारण प्रति वर्ष करोड़ों रूपयों की हानि होती है। जन हानि भी होती है जैन श्रावक विवेकी होता है जिसका उद्देश्य नुकसान करना नहीं बल्कि नुकसान बचाना होता है। वह समाज का, प्रकृति, पर्यावरण एवं राष्ट्र का सबसे बड़ा हितैषी होता है ।
जैन श्रावक का भाव, वचन एवं क्रियाएँ ऐसी होती हैं जिन से किसी को कष्ट न हो अतः इनका संबंध राष्ट्र कल्याण से ही जुड़ जाता है। मेरी तो यही कामना है कि प्रत्येक भारत वासी को श्रावक धर्म अपनाना चाहिए ताकि सहज ही राष्ट्र कल्याण हो सके ।
संदर्भ -
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आचार्य उमा स्वामी - तत्वार्थ सूत्र 7 / 2
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मद्यमांस मधु त्यागैः सहाणुव्रत पंचकम् ।
अष्टौ मूलगुणानाहुर्गृहिणां श्रमणोत्तमाः ॥ - आचार्य समन्तभद्रः रत्नकरण्ड श्रावकाचार - 66
मधुनिशाशन-पंचफलीविरति पंच काप्तनुती ।
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जीवदयाजलगालनमिति च क्वचिदष्टमूलगुणाः ॥
पं. आशाधर : सागारधर्मामृत - 2 /18
आचार्य उमा स्वामी : तत्वार्थ सूत्र
पं. आशाधर : सागारधर्मामृत टीका - 1
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