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कृतित्वं/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ (११) किरण - ने श्रमण सल्लेखना और श्रावकसल्लेखना का सांगो पांग विवेचन कर साधुओं के आदर्श
महाव्रतों को आलोकित किया है। (१२किरण - भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित मोक्षमार्ग के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए आठ मूलगुण
और बारह व्रतों का एवं सामान्य एवं विशेष पर्वो के व्रतों का सातिचार वर्णन किया गया है (११
प्रतिमायुक्त) (१३) किरण - निर्ग्रथगुरुवरों को प्रणाम -
गुरवः पान्तु नो नित्यं, ज्ञानदर्शननायकाः ।
चारित्रार्णवगंभीराः मोक्षमार्गोपदेशकाः ॥ इस प्रकार डॉ. पन्नालाल जी ने अपने पुरुषार्थ से साहित्य सागर का मंथन कर “सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्राणि मोक्षमार्गः" इस सूत्र के अनुसार - अध्यात्मरत्नत्रय के विकास से स्वपर कल्याण का मार्ग सरल किया है। आपकी मौलिक रचना "चिन्तामणित्रय" साहित्यलोक में जयवंत हो ।
न चोरहार्यं न च राजहार्य, न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि । व्यये कृते वर्धत एव नित्यं, रत्नत्रयं सर्वधन प्रधानम्॥
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