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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ प्राचीन जैन तीर्थो ने भारतीय संस्कृति के प्रत्येक अंग को प्रभावित किया है, अध्ययन की दृष्टि से . उस योगदान का विभाजन निम्न शीर्षकों में संभाव्य है -
1.
शैक्षणिक योगदान
2.
3.
साहित्यिक योगदान
4.
5.
कला एवं पुरातत्त्व विषयक योगदान
6.
वैज्ञानिक योगदान
( भारतीय संस्कृति में जैनतीर्थां का योगदान पृ. 3)
डॉ सर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर म.प्र. के पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रो. कृष्णदत्त वाजपेयी स्वयं विहार प्रांत के पारसनाथ किले का निरीक्षण कर वहाँ अनेक जैन मूर्तियाँ तथा शिलालेख प्राप्त किये हैं । प्राप्त सामग्री के आधार पर उनका कथन है कि दशवीं तथा ग्यारहवीं शती में वह किला जैनधर्म का अवश्य महत्वपूर्ण केन्द्र रहा होगा। उन्होंने वहाँ पर्यवेक्षण और खुदाई की महती आवश्यकता प्रदर्शित की है। (उक्त पुस्तक पृ.20)
भारत के प्रांतश: कतिपय तीर्थक्षेत्रों के नाम :
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उत्तरप्रदेश 1. मथुरा, 2. हस्तिनापुर, 3. अयोध्या, 4. अहिच्छत्र, 5. प्रयाग, 6. काकन्दीपुर, 7. कौशाम्बी, 7. चन्द्रपुरी, 8. चांदपुर, 9. देवगढ़, 10. पवाजी, 11. रत्नपुरी 12. सिंहपुर, 13. श्रमणा, 14. सोनागिर आदि । मध्यप्रदेश - 1. द्रोणगिरि, 2. अचलपुर - मुक्तागिरि, 3. अहारजी, 4. कुण्डलपुर, 5. कोनी - पाटन, आदि । 1. अजमेर, 2. अर्बुद पर्वत, 3. चमत्कारीजी, 4. ऋषभदेवजी, 5. चांदखेड़ी, 6. महावीरजी, 7. चौवलेश्वर, 8. जयपुर, 9. बिजौलिया 10. केशोराय - पाटन आदि ।
राजस्थान -
बंगाल-बिहार- उत्कलप्रांत - 1. गुणावा, 2. चम्पापुर - मन्दारगिरि, 3. पाटली - पुत्र, 4. पावापुर, 5. राजगृह, 6. सम्मेदशिखर, 7. कुण्डपुर, 8. आरा आदि ।
दार्शनिक तथा चारित्रिक योगदान धार्मिक-साधना योगदान
बम्बई प्रांत - 1. कुन्थलगिरि, 2. गजपंथगिरि, 3. गिरिनार, 4. तारवरनगर, 5. पावागिरि, 6. तुंगीगिरि, 7. शत्रुंजय, 8. अजंतागुफा मंदिर, 9. कचनेर, कुम्भोज, 10. विघ्नहर - पार्श्वनाथ आदि । मद्रास प्रांत - 1. श्रवणबेलगोल, 2. कारकल, 3. बेणूर, 4. तिरुमलय, 5. पोन्नूर, 6. मूड बिद्री, 7. विजयनगर, आदि ।
कतिपय अन्य तीर्थक्षेत्र - 1. अंतरिक्ष, 2. कारंजा, 3. कुण्डनपुर, 4. भातुकुली, 5. रामटेक, 6. बड़वानी - चूलगिरि, 7. पावागिरि, 8. सिद्धवरकूट, 9. उज्जयिनी, आदि ।
उपसंहार -
तीर्थक्षेत्र, भारतीय संस्कृति और पुरातत्व के अमर कीर्ति स्तंभ है । इतिहास से सिद्ध होता है कि भारतीय सिद्धांतों को जीवित एवं विकसित करने में तीर्थक्षेत्रों ने अपार योगदान दिया है । तीर्थक्षेत्रों की भावपूर्वक वंदना एवं उपासना करने से मानव का कल्याण होता है और यह मानव संसार सागर से पार होकर परमात्मा हो जाता है ।
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