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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ यह श्रेष्ठ शासन व्यवस्था ही सतयुगी राज्य अथवा राम राज्य के नाम से विश्व में विख्यात हो गई। वह राज्य परम्परा आज तक चली आ रही है। धार्मिकता का आविष्कार
राष्ट्र में राष्ट्रीयता का आविष्कार करने के साथ ही सम्राट ऋषभदेव ने लोक कल्याण एवं आत्म कल्याण के लिये धार्मिक तत्त्वों का प्रचार किया। यत: आत्मशुद्धि के लिये धर्म तत्त्वों का ज्ञान एवं आचरण करना अत्यावश्यक है । धर्म के लक्षण हैं।
धर्म: प्राणिदया सत्यं क्षान्तिः शौचं वितृष्णता। ज्ञानवैराग्यसम्पत्ति रधर्मस्तविपर्यय: ॥१॥
आदिपुराण पर्व १० __ अर्थात- जीवदया, सत्य, क्षमा, मन: शुद्धि, अपरिग्रह तथा ज्ञान और वैराग्य को धर्म कहते हैं। इससे विपरीत हिंसा, असत्य, राग द्वेष, मोह आदि को अधर्म (पाप) कहते हैं। व्यक्तिगत आत्मशुद्धि का कारण होने से राज्य में शान्ति एवं नैतिक सभ्यता के लिये भी धर्म तत्त्वों की महती आवश्यकता है। अहिंसा सत्य अचौर्य ब्रह्मचर्य अपरिग्रह ये पंच अणुव्रत अथवा पंचशील रुप सिद्धांत राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मूल कारण हैं। वर्तमान की विश्व शान्ति, नि:शस्त्रीकरण आदि अनेक समस्याओं का हल उक्त सिद्धान्त में निहित है। आवश्यकता जन मानस में उसके विकास करने की है। धार्मिकता के विस्तृत भेद इस प्रकार हैं 1. अहिंसा 2. सत्य 3. अचौर्य 4.ब्रह्मचर्य 5. अपरिग्रह 6. आत्मविश्वास 7. तत्त्वविज्ञान 8. सम्यकचरित्र 9. क्षान्ति 10. विनय 11. निष्कपटता 12. योगशुद्धि, 13. संयम 14. विरागता 15. तपइच्छानिरोध 16. त्याग- दान 17. समताभाव 18. दर्शनविशुद्धि 19. व्रताचरण 20. स्वाध्याय 21. विरागता 22. धर्मात्मा का संरक्षण 23. गुणीजनभक्ति 24. शास्त्र भक्ति 25. प्रायश्चित्त 26. प्रतिक्रमण 27. धार्मिक प्रचार 28. विश्व बन्धुत्व इत्यादि। राष्ट्रीयता के विकास के साधन
असिमसि: कृषिविद्या वाणिज्यं शिल्पमेव वा । कर्माणीमानि षोढा स्युः प्रजाजीवनहेतवे ।
- आदिपुराण अर्थात् - कर्मयुग के प्रारभकाल में सम्राट ऋषभनाथ ने प्रजा के जीवन संरक्षण के लिये छह प्रमुख साधनों का सर्वप्रथम आविष्कार किया था - (1) असि (2) मसि (3) कृषि (4) विद्या (5) वाणिज्य (6) शिल्पकला। 1. असि
सैनिक शिक्षा, व्यायाम, शस्त्रास्त्र संचालन, विविध खेल, आसन प्रयोग, प्राणायाम, धनुर्विद्या, अश्ववाहन, गजवाहन, रथवाहन, राष्ट्र की सुरक्षा के अन्य साधन आदि ।
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