________________
कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ 5. विश्व युद्ध शांति अहिंसा, सत्य, नि:शस्त्रीकरण, मद, लोभ त्याग आदि
साम्प्रदायिकता निरोध अनेकान्तवाद, स्याद्वाद, समता, क्षमा, सहयोग । समाज सुधार साम्यभाव, सर्वोदय, धार्मिक शिक्षा, मित्रता, सेवा । दहेज प्रथा निरोध आदर्श धार्मिक विवाह, सामूहिक विवाह सहयोग आदि । चोरी डकैती निरोध अचौर्याणुव्रत, शिक्षा, उद्योग, सन्तोष, समाजवाद |
भ्रष्टाचार, घूसखोरी निरोध सदाचार, सत्य, संतोष, सेवा, अनुशासन, न्यायादि । 11. गुण्डाशाही निरोध सदाचार, मूल गुण सेवा, व्यसन त्याग,दया, शासन सहयोग। 12. मांसाहार-मद्यनिषेध शाकाहार, मूल गुण सेवा, व्यसन त्याग, उच्च विचार, दया । 13. बेकारी,गरीबी निरोध अर्थशिक्षण, कुटीर उद्योग, हस्त कला, क्राफ्ट, समयोपयोग,
मितव्ययिता। उपसंहार
कला बहत्तर पुरुष की तामें दो सरदार । एक जीव की जीविका दूजे जीव उद्वार ॥1॥
कविवर द्यानतराय आत्मा की उन्नति धार्मिक तत्त्वों से और जीवन की उन्नति राष्ट्रीय तत्त्वों से होती है । ये दोनों विद्याएं सब कलाओं में श्रेष्ठ हैं । धार्मिकता और राष्ट्रीयता की उन्नति एकांगी पुरुषार्थ से सम्भव नहीं है। उक्त दोनों तत्त्वों का समन्वय रुप पौरुष ही उन्नति का प्रबल साधन है। उसी की जीवन में आवश्यकता है। वह सर्वांगीण पुरुषार्थ ही व्यक्ति,समाज और विश्व के विकास, तथा उत्कर्ष का नेता है ।
-
-302)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org