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कृतित्व / हिन्दी
"अहिंसा, सभ्यता का सर्वोपरि और सर्वोत्कृष्ट दरजा है यह निर्विवाद सिद्ध है"।
(डा. एल. पी. टेसिटोरी इटली)
"यदि अहिंसा धर्म को देश मानता होता तो परस्पर द्वेषाग्नि न फैली होती और न विदेशी पुरूषों का यहाँ शासन ही जमता "। (अहिंसा पत्र पं. रामचरित उपाध्याय गाजीपुर)
"जैन ग्रन्थों में जिस अहिंसा धर्म की शिक्षा दी गई है उसे मैं यथार्थ में श्लाघनीय समझता हूँ "| (डा. जोहन्नेस हर्टल जर्मनी 17-6-1908 का पत्र )
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
"अहिंसा वीर पुरूषों का धर्म है कायरों का नहीं "।
(सरदार श्री बल्लभ भाई पटेल : अनेकान्त वर्ष 6 पृ. 39) "भगवान महावीर के सत्य और अहिंसा संबंधी उपदेश विश्व के वर्तमान संघर्षो और समस्याओं के समाधान की दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं । यदि हमें अपनी महान् परम्पराओं का निर्वाह करना है तो हमें अपने और विश्व के हित के लिए इन सिद्धांतों के प्रति आत्मविश्वास का पुनर्नवीकरण करना होगा "। (स्व. डा. एस. राधाकृष्णन पूर्वराष्ट्रपति भारत: दिव्यध्वनि देहली : वर्ष 1, अंक 6 ) “यदि हम भ. महावीर की कुछ शिक्षाओं को भी आंशिक रूप से अपने दैनिक जीवन व्यवहार में क्रियान्वित करने में सफल हो जाये तो यह एक बहुत बड़ा कार्य होगा "।
(दिव्यध्वनि देहली व. 1, अ. 6 पूर्व उपराष्ट्रपति डाक्टर जाकिर हुसैन) "अहिंसा का सिद्धांत आज भी उतना ही सत्य है जितना कि वह 2500 वर्ष पूर्व था । आज देश को अहिंसा और अपरिग्रह की ओर ले जाने की आवश्यकता है" ।
(इन्दिरा गाँधी प्र. मंत्री - मार्च 1970 देहली ) "मैं भ. महावीर को परम आस्तिक मानता हूँ । श्री भ महावीर ने केवल मानव जाति के लिए ही नहीं, परन्तु समस्त प्राणियों के विकास के लिए अहिंसा का प्रचार किया "।
(आचार्य श्री काका कालेलकर जी, ज्ञानोदय वर्ष 1 पृ. 66 ) "लोग कहते हैं कि अहिंसा देवी नि:शस्त्र है। मैं कहता हूँ यह गलत ख्याल है अहिंसा देवी के हाथ में अत्यंत शक्तिशाली शस्त्र है । वह अहिंसा रूप शस्त्र प्रेम के उत्पादक होते हैं संहार के नहीं " ।
(आचार्य श्री विनोवा भावे - ज्ञानोदय भाग 1 पृ. 564) "रिश्वत, बेईमानी, अत्याचार अवश्य नष्ट हो जावें, यदि हम भ. महावीर की सुन्दर और प्रभावशाली अहिंसा आदि शिक्षाओं का पालन करें "।
(स्व.लाल बहादुर शास्त्री : वर्धमान देहली अप्रैल 53, पृ. 59 ) “यदि आपको केवल विज्ञान का ज्ञान है तो आप अणुवम हाईड्रोजन बम तक जाकर रूक जावेंगे। आप
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