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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ (4) मैने चमकीली आँखें देखी, सुन्दर स्वरूप यानी खूब सूरत शकलें देखी, लेकिन एक ऐसी आत्मा नहीं
मिली जो मेरी आत्मा से बोलती। (5) कीमती चीज दुनियाँ में एक है "सक्रिय आत्मा"। (6) आत्मविश्वास वीरता की जान है। (7) आत्मसम्मान पहला रूप है जिसमें महानता प्रकट होती है
(अहिंसावाणी, जनवरी 1060) "जो पूर्ण सद्गुण शील है उसे आंतरिक अशान्ति नहीं होती "।
(कन्फ्यूशियस वैज्ञानिक) "शान्तिपूर्ण आत्मा में एक शाही शान है"।
(वाशिंगटन इर्विग वैज्ञा.) "दुनियां की तमाम शानसौकत से बढ़कर है आत्मशान्ति, स्थिर और शान्त अन्तरात्मा"।
(वै.शेक्सपियर) "पहले स्वयं शान्त बनो, तभी औरों में शान्ति का संचार कर सकता है"।
(वैज्ञानिक थामस केम्पी) . "व्यक्ति की आत्मा में परमात्मा छुपा है"।
(महासाहित्कार जार्ज बर्नार्ड शां इंग्लैण्ड) धर्म आत्मा का प्राण है, धर्म बिना आत्मा निष्प्राण है 8. जैन दर्शन में आत्मा के भाव 3 होते है (1) अशुभ (2) शुभ (3) शुद्ध। विज्ञान - व्यक्ति के भाव 3 तरह के होते हैं (1) ईड (2)ईगो (3)सुपरईगो
(आधुनिक मनोवैज्ञानिक डाक्टर फ्रियूड) 9. जैन दर्शन में पृथ्वी कायिक जीव में 4 प्राण मान्य है। विज्ञान - एक वर्ग इंच जीवितभूमि में प्राय: 50 लाख कीटाणु अणुवीक्षणयंत्र से सिद्ध होते है।
(वज्ञौनिक साइकस) 10. जैद दर्शन में जल जीव में चार प्राण मान्य हैं स्पर्शन इन्द्रिय कायबल, आयु, श्वास ।
विज्ञान - जल की एक बूंद में 36450 कीटाणु सिद्ध होते हैं यंत्र से। अग्नि - वायु में अणुवीक्षणयंत्र से बहुत कीटाणु सिद्ध होते हैं ।
(वैज्ञानिक - केप्टन स्क्वोर्सवी - सिद्ध पदार्थ विज्ञान)।
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