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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ सारांश-चेतन और अचेतन तथा बाह्य और अन्तरंग सर्व प्रकार के पदार्थों को सर्वथा छोड़ देना एवं निर्ममत्व भाव को अंगीकार कर ज्ञान एवं संयम की साधना करना परिग्रहत्याग महाव्रत कहा जाता है। इस शारीरिक और आध्यात्मिक तपस्या से ही जन्म-मरण तथा कर्म विकारों को विनष्ट कर संसारी आत्मा, परमात्म पद (मुक्ति) को प्राप्त करता है। महावीर के अपरिग्रहवाद और वैज्ञानिकों के अर्थशास्त्रों में अन्तर :
भगवान महावीर ने अर्थ पुरुषार्थ (अर्थशास्त्र) में न्यायपूर्वक साधनों से अर्थ संयम, अर्थ संरक्षण अवश्य दर्शाया है- परन्तु उस अर्थशास्त्र में मर्यादा द्वारा आंशिक त्याग, गृहस्थ जीवन में और सम्पूर्ण अर्थत्याग साधु जीवन में आवश्यक रूप से शक्ति के अनुसार भी कहा है। इस नियम का पालन करते हुए मानव आवश्यकता से अधिक अर्थ का संग्रह न करे, दूसरे के वैभव को देखकर दुखी न होवे, अत्यन्त तृष्णा न करे और अर्थार्जन के कारण भृत्यों एवं पशुओं को कष्ट न देवें।
अब वैज्ञानिकों के अर्थशास्त्र में देखिये कि उन्होंने विज्ञान के उचित साधनों से अर्थ का अर्जन, संग्रह, विकास को अवश्य कहा है परन्तु सामाजिक कर्त्तव्य की दृष्टि से धन की मर्यादा करके आंशिक त्याग नहीं कहा है। इस मर्यादा के बिना यह हानि अवश्य होती है कि मानव विज्ञान के द्वारा न सम्पूर्ण धन का अर्जन कर सकता है और न नियम करके सन्तोष से जीवन पवित्र कर सकता है। वह तो पशुपक्षियों की तरह तृष्णा से ही जीवन समाप्त कर देता है, परलोक में दुर्गति का पात्र होता है। वैज्ञानिकों की अर्थशास्त्र की परिभाषाओं का दिग्दर्शन :(1) अर्थशास्त्र धन का विज्ञान है । (एडम स्मिथ) (2) अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जो धन या सम्पत्ति की विवेचना करता है। (श्री जे.बी. से) (3) अर्थशास्त्र ज्ञान की वह शाखा हे जो धन से सम्बन्धित है । (प्रो. बाकर) (4) अर्थशास्त्र जीवन के साधारण व्यवसाय में मनुष्य की क्रियाओं का अध्यापन है। यह इस बात की
जांच करता है कि मनुष्य अपनी आय किस प्रकार प्राप्त करता है और उसका किस प्रकार उपयोग
करता है । (प्रो. मार्शल) (5) अर्थशास्त्र वह विज्ञान है जिसमें मानव व्यवहार का उसकी अनन्त आवश्यकताओं और सीमित
साधनों, "जिनका विभिन्न प्रकार से उपयोग हो सकता है", के बीच के सम्बन्ध के रूप में अध्ययन
किया जाता है । (प्रो. राबिन्स) (6) अर्थशास्त्र एक विज्ञान है जो मानवीय आचरण (व्यवहार) का आवश्यकता रहित अवस्था में पहुंचने
के लिये एक साधन के रूप में अध्ययन करता है । (प्रो. जे.के. मेहता अर्थशास्त्री)
(आनन्दस्वरूपगर्ग : अर्थशास्त्र की रूपरेखा - 1982 : पृ2-19) अन्य अर्थशास्त्र की परिभाषाएं :(1) राज्य अर्थव्यवस्था (अर्थशास्त्र) का उद्देश्य उन कारणों का विवेचनात्मक वर्णन करना होता है जिन पर मनुष्य का भौतिक सुख निर्भर होता है । (प्रो. कैनन अर्थशास्त्री)
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