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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ केवलज्ञानी साधु 700
विक्रियाऋद्धिधारी यति -900 विपुलमति मन:पर्ययज्ञानी - 400
आर्यिका - 36000 प्रमुख आर्यिका चंदनासती -1
वादी - 400 देव - अगणित
देवांगना - अगणित पशु पक्षी (संज्ञी - पंचेन्द्रिय) - अगणित ।
कुल संख्या - 45,39,11 केवलज्ञानी भगवान महावीर का आत्मिक प्रभाव -
(1) चारों दिशाओं में 100-100 योजन तक सुकाल रहना और लोक में या देशों में अकाल की दशा का नहीं होना । (2) 500 धनुष ऊपर आकाश में महावीर का गमनतप के प्रभाव से होना । (3) प्राकृतिक एक मुख होते हुए भी चारों दिशाओं में चार मुखी का दर्शन होना, इसी अपेक्षा से भगवान को चतुर्मुख कहते हैं। (4) मानवों में और पशुओं में हिंसक या कलहकारी प्रवृत्ति न होकर परस्पर में दयाभाव या करूणा भाव का होना । (5) भगवान महावीर के ऊपर कोई उपसर्ग या उपद्रव का न होना (6) ग्रास द्वारा ग्रहण किये जाने वाले भोजन के बिना ही शरीर का पुष्ट रहना एवं रोगों का न होना । (7) समस्त लौकिक तथा अलौकिक विद्याओं का ज्ञान महावीर की आत्मा में होना । (8) नख तथा केशों का नहीं बढ़ना, अत: भ. महावीर को छौरकर्म एंव केशलोंच आदि की आवश्यकता नहीं होती थी। (9) नेत्रों की पलकों का न झपकना, निद्रा का नहीं होना और नेत्रों का सदैव खुले रहना। (10) सूर्य चंद्र बिजली आदि के प्रकाश में शरीर की छाया नहीं होना एवं जल में भी महावीर के शरीर का प्रतिबिम्ब नहीं होना। इस प्रकार निर्मल पूर्णज्ञान होने पर भगवान महावीर की आत्मा के दश प्रकार के अतिशय व्यक्त होते थे।
इनके अतिरिक्त भ.महावीर की परम शुद्ध आत्मा के प्रभाव से देव समाज द्वारा जो महत्वपूर्ण कार्य किये गये थे उनका संक्षिप्त वर्णन भी ज्ञातव्य है - 1- भगवान की अर्धमागधी भाषा को सुदूर तक प्रसारित करना। . 2 - देव मानव पशु पक्षी इन प्राणियों में परस्पर मित्रता का होना बैर विरोध का छूट जाना। 3- सर्वदिशाओं का स्वच्छ सुरम्य होना। 4- आकाश का दृश्य स्वच्छ एवं सुन्दर होना। 5- समस्त ऋतुओं के फलफूल शाक धान्य आदि का एक साथ अत्यन्त उत्पन्न होना 6- कूड़ा कर्कट मल आदि से रहित भूमि का अत्यंत स्वच्छ होना। 7- महावीर के चलते समय चरण कमलों के नीचे स्वागतार्थ सुवर्ण कमलों का रचा जाना । 8- भूतल पर मनुष्यों द्वारा और आकाश में देवों द्वारा जय जय आदि उच्च ध्वनियों का होना । 9- स्वास्थ्य प्रद मंद सुगन्धित पवन का चलना। 10- आनंदप्रद सुगन्धित जल की मंद-मंद वर्षा होना ।
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