________________
व्यक्तित्व
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
एक आदरणीय सत्पुरुष का व्यक्तित्व
प्रतिष्ठाचार्य पं. कमल कुमार जैन शास्त्री
साहित्याचार्य गोइल्ल कोलकाता प. बंगाल परमादरणीय डॉ. पंडित श्री दयाचंद जी साहित्याचार्य का नाम समाज के उन महान लगनशील ज्ञानियों में से प्रमुख हैं जिन्होंने श्री गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय में प्राचार्य पद पर रहकर विद्यालय में सेवाएँ देते हुए अपनी लेखनी और वाणी से जैन जगत में ख्याति प्राप्त की । मैं जिस समय विद्यालय में अध्ययनरत था तभी सन् 1988 से बराबर उनके ज्ञान स्तम्भों का रसास्वादन करता रहा हूँ। आपने अपने अनेकानेक आलेखों के माध्यम से जैन समाज को ज्ञान के क्षेत्र में नई दिशा प्रदान की।
यह निर्विवाद सत्य है कि उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन ज्ञान साधना में व्यतीत किया यह प्रत्यक्ष दर्शी मैंने देखा ।उनके त्याग, आगम श्रद्धा, लगन व उनकी सहनशीलता की प्रशंसा कहा तक की जावे, उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करके समाज को सच्चा ज्ञान दिया।
स्व. वयोवृद्ध पंडित जी के सीधे - सादे व्यक्तित्व को देखकर यह परिचय देना स्वाभाविक हो जाता है कि आप बड़े अनुभवी, शास्त्रज्ञ, अनुशासन प्रिय रहे है। पंडित जी सादगी की प्रतिमूर्ति थे, आप निर्भीक नि:स्वार्थ निर्लोभ, सच्चरित्र तथा सहृदय पुरुष थे।
"स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते" वाली कहावत पंडित जी के जीवन में चरित्रार्थ हो गई वृद्ध अवस्था में भी आपकी विशिष्ट कर्मठता देखकर सबको आश्चर्य मिश्रित हर्ष होता था कि प्रमाद आपको छूता भी नहीं था इसी कारण से आपने आयु के उत्तरार्ध में शोध परक अध्ययन से मानद डाक्ट्ररेड की उपाधि भी प्राप्त कर ली। जिनवाणी की सेवा व उद्धार के लिए प्रतिदिन कई घण्टों श्रम करते रहते थे। आपने अपना सम्पूर्ण जीवन जिनवाणी के स्वाध्याय में समर्पित कर दिया । आप संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी आदि भाषाओं के मर्मज्ञ थे आपका आदर्श कृतित्व और व्यक्तित्व समाज के लिए प्रेरणास्पद है इनकी वाणी में सत्यता मधुरता, गम्भीरता एवं रोचकता थी। एक बार जो कोई उनके प्रवचन सुन लेता था, वह अप्राणित नहीं रह पाता था। उनकी कथनी एवं लेखनी में अनेकांत पक्ष झलकता था। उन्होंने कभी मतभेद जैसी बात नहीं की निश्चय पक्ष और व्यवहार पक्ष का सापेक्ष कथन ही किया | आगम की बात पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए उन्होंने कभी कुतर्क को महत्व नहीं दिया । अंत मैं उनकी स्मृति में प्रकाशित ग्रन्थ "साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ " की सफलता की कामना करता हुआ स्व. आदरणीय डॉ. पंडित दयाचंद जी जैन साहित्याचार्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org