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[५८२] तो उसको कौन रोक सकता है और प्रोस्थानांगजीके पंचमें स्थानमें पांच पांच बातोंका कथन होनेसे सूत्रकारने श्रीशासननायकके केवलज्ञान पर्यंत पांचही कल्याणकोंका कथन किया और छठा मोक्ष कल्याणकका कथन नहीं करसके परन्तु टीकाकारतो विशेषता पूर्वक कार्तिक अमावश्याको स्वाति नक्षत्र में भगवान्के मोक्ष गमनका छठा कल्याणकको प्रगटपने कथन कर दिया है सो दीपमालिका दीपोत्सवमालाके नामसे सब जैनमें प्रसिद्ध है इस लिये शासन नायकके छ कल्याणक शास्त्रों के प्रमाणानुसार तथा युक्ति युक्त होनेसे इनके निषेध करने वालोंको शास्त्र प्रमाण उत्थापक अन्तर मिथ्यात्वी न बनना चाहिये इस बातको भी विशेषतासे तत्वज्ञ जन स्वयं विचार लेवेंगे,___ और श्रीआचारांगजी सूत्रके मूल पाठमें तथा श्रीकल्पसूत्रके मूल पाठमें तो श्रीमहावीरस्वामीके पांच कल्याणक हस्तोतरा नक्षत्र और छठा मोक्ष कल्याणक स्वाति नक्षत्र में प्रगट पने कहा है उसी का उपरमें निर्णय हो गया है जिसको आत्मार्थी आज्ञा आराधक होवे गे सो तो मान्य करेंगे परन्तु अभिनिवेशिक मिथ्यात्वी इहलोक स्वार्थी पक्के कटर कदाग्रही जन नहीं मानेगे और भोले जीवोंको भ्रममें गेरने के लिये कुयुक्तियों करके निज परके दुलभ बोधिपमेका कारण करते हुए मानुष्य जन्मको बिगाड़ेंगे तो फिर भवांतरमें मानुष्य जन्ममें जिनाजाकी प्राप्ति विमा संसारका पार होना अतीव कठिन है- और श्रीदशाश्रुतस्कंध सूत्रकी चूर्णिमें श्रीमहावीरस्वामीके चरित्रको मांगलिकके लिये कथन करते भगवान्के च्यवनादि छहो कल्याणकोंको छ वस्तु कही सो वस्तु शब्दको देखकर म्यायांमोनिधिनीको यह भी बम पाया कि पीवीरमर
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