Book Title: Ath Shatkalyanak Nirnay
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 351
________________ [ ८०२] शास्त्र प्रमाणोंसे सिद्ध होता है परन्तु जब भगवान देवानन्दाके गर्भ में आकर उत्पन हुए उस समय इन्द्रका आशन चलायमान हुआ और इन्द्रने उसी समय नमस्कार याने नमोत्युणं किया ऐसा तो किसी शास्त्र में देखने में आता नहीं है परन्तु “महापुरुष चरित्र" जोकि प्राचीन पूर्वधराचार्यों के समय श्रीमान देव मूरिजी के शिष्य श्रीशीलायग्यि (शीलाचार्य) जी कृत प्राकृत में है उसमें २४ तीर्थ कर १२ चक्रवर्ती वगैरह उत्तम पुरुषों के चरित्र हैं उसमें श्रीवीरप्रभु के चरित्रमें कलिकाल और इतिहास सर्वज्ञ विरुद धारक मोहेमचंद्राचार्यजी कृत "त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र"के दशपर्वमें वीर चरित्राधिकार दूसरे सर्गमें वीर प्रभु भगवान ८२ दिन तक देवा नन्दाके गर्भ में रहे ८२ दिन व्यतीत हुए बाद इन्द्र महाराजका आशन चलायमान हुआ तब इन्द्रने भगवानको अवधि ज्ञानसे देखा और नमस्कार याने नमोत्थुण किया ऐसा खुलासा कथन किया है जिसका पाठ पाठक वर्गको विशेष निःसन्देह होनेके लिये नीचे दिखाता हूं सो प्रथम-श्री प्राचीन पूर्वधराचार्यों के समय श्री मानदेव सूरिजी के शिष्य श्रीशीलाचार्य जी कृत "महा पुरुष चरित्र" में वीर चरित्राधिकारे लथाहि अस्थि इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे माहण कुंडग्गामा णाम गामो तत्थ कोडालसगोत्तो बंभणो तस्स देवाणंदा भारिया तीए सह जहा मुह वसंतस्स गच्छति दियहाइमोयतमओ पुप्फुत्तर विमाणाओ आसाढ सुद्ध छट्ठीए हत्युत्तराहिं चाऊण अणेय भवाई य मरीइ जीवमुरवरो अहोत्तमं महाकुलंतिदुरुत्तवायावइयं आवज्जियकम्म किंचावसेसत्तणामो समुप्परणेत्ती एवं भणीए उदरमि दिवा यणाए सुहपमुत्ताए त्तोऐचेव रयणीए पहाय समम्मिंगय वसहाइणो चोद्दसमहा सुमिणा पुणो। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380