Book Title: Ath Shatkalyanak Nirnay
Author(s): Unknown
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 359
________________ [ ८१० ] पुत्रकी प्राप्ति होनेका फल सुनकर मनुष्य संबंधी ऋषभ दत्त ब्राह्मणके साथ उत्तम प्रकार के भोग भोगवती हुई विचरने लगी ऐसा कथन करम सूत्रमें करने के बाद पीछे इन्द्रने नमोत्थु करके सिंहाशन पर बैठकर नीच गौत्रका विचार करके उत्तम कुल में पधराये यह बात नमोत्थुरा की और उत्तम कुलमें पथराने की एक ही साथ एक समय में लिखी है और ऊपर के पाठों में ८२ दिन गये का खुलासा लिखा है इसलिये कल्प सूत्रका नमोत्थुण संबंधी पाठ ८२ दिन गये बाद गर्भहरण समयका प्रत्यक्षपने सिद्ध होता है इसको विशेष विवेकी जन स्वयं विचार सकते हैं देवेन्द्र अनन्त शक्ति वाला होता है ममोत्थुर्ण करके सिंहासन पर बैठकर नीच गौत्रका बिचारके उत्तम कुलने पधरानेकी आज्ञा करने में कुछ भी देरी नहीं लग सकती इससे ८२ दिन इंद्र को विचार करते चले गये ऐसा नहीं समझना किन्तु ८२ दिन गये बाद गर्भहरणके दिन नमोत्थुणं किया ऐसा समझना चाहिये, - और त्रिशला माताने १४ स्वप्न मैने देवानन्दा के लेलिये हरण कर लिये ऐसा स्वप्न नहीं देखा किन्तु १४ स्वप्न आकाशसे उतरते अपने मुखमें प्रवेश करते देखे हैं इसलिये त्रिशला के गर्भ में भगवान् के आने से च्यवन कल्याणक मानने में किसी तरह की बाधा नहीं हो सकती और २४ वें तीर्थ कर उत्पन्न होनेका उस दिनसे प्रगट हुआ पुत्रोत्पत्तिका महोत्सव हुआ इत्यादि कारणोंसे तथा इस ग्र धर्मे लिखे हुए शास्त्र पाठों से और युक्ति प्रत्यक्ष प्रमाणोंसे ८२ दिन गये बाद इन्द्रका आसन चलायमान होनेसे अवधि ज्ञानसे भगवानको देखके सिंहासन से उठकर नमस्कार याने ममोत्थुणं किया और आकर त्रिशला माताको १४ स्वप्नोंका फल तोर्थंकर पुत्र होने का कहा देवताओं द्वारा स्वर्ण रत्नादि निधान धन धान्यादिकी बृद्धि करो इस लिये Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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