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तेनामेव उवागच्छ, ( २ ) ता सक्केहस देविंदस्स देवरन्त्रो एम मानसिअं खिप्पामेव पञ्चविपण । तेण कालेन तेणं समएण समणे भगवं महावीरे तित्राणोवगए आवि हुत्था साहरिज्जिस्सामिति जाणइ, संहरियमाणे न जाण, साहरियमिति जाणइ ॥ तेण कालेन तेण समएणं समय भगवं महावीरे जैसे वासाणं तच्च मासे पचमेपकले आसोअबहुले, तहसणं मासोअवहुलस्त तेरसी पक्खेण वासीइ राईदिएहि विइक्कंतेहि' तेसी इमस्स राइदि त्रस्त अंतरा वहमाणे हि आणुकंप एण' देवेण हरिण गमेसिणा सक्कवयण संदिट्ठ ेण माहण कुडग्गामाओ मयराओ उसभदत्तस्स माहणस्त कोडालस गुतस्त भारियाए देवाण दाए माहणोए जालंधर सगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुं डग्गामे मयरे मायाणं खत्तिमाणं सिद्धत्थस्स खशिअस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तिआणीए वासिसगुत्ताए पुवरता वरत्त काल समयंसि हत्युत्तराहि मरकोण जोगमुवागणं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं कुच्छिंसि गम्भत्ताए साहरिए ।
देखिये ऊपर के पाठ में देवताने ८२ दिन व्यतीत भये बाद ८३ वा दिनको रात्रि देवानन्दा के गर्भ से भगवान्को लेकर त्रिशला माताको गर्भ में आश्विन कृष्ण १३ को हस्तोत्तरा नक्षनमें पथराये सो भगवान् भो तीन ज्ञानसे मेरेको देवानन्दाके गर्भ से देवता हरण करेगा ऐसा जानते थे परन्तु देवता की दीव्य शक्तिको शीघ्रता से हरण करती समय नहीं जाना बाद मालूम पड़ा कि मेरा हरण हो गया परन्तु प्रोआचाराङ्गजी में तो वोर चरित्राधिकारे देवताकी देव शक्तिकी शीघ्रता होने पर भी उसमें असंख्याते समय चले जाते हैं इस लिये हरण करनेके समय भी भगवान् जानते थे ऐसा खुलासा लिखा है
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