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म्वना होगी अर्थात् जैसे ढूंढियोंने तो अपना कदाग्रह अमाकर अपना अलग नवीन मत निकालने के लिये जिनप्रतिमाको तथा पञ्चाङ्गरूप जिनवाणीको और पूर्वधरादि सब पूर्वाचार्यों को मानना उठा दिया, तैसेही आप लोगोंको भी अपना कदाग्रह जमानेके लिये उनसे भी अधिक करना पड़ेगा याने श्री ऋषभदेवजी आदि २३ तीर्थंकर महाराजोंने तथा गणधरोंने और पूर्वधरादि पूर्वाचार्यों ने मूल सूत्रादि पञ्चांगीके अनेक शास्त्रों में छ कल्याणक कथन किये है और आप लोग छ कल्याणकोंका मानना उठाते हो इससे छ कल्याणकके कथन करने वालोंकों भी नहीं मानने अप्रमाण ठहरानेकी आपत्ति आती है, इसको खूब दीर्घ दृष्टिसे विवेक बुद्धि पूर्वक विचार करके छ कल्याणकों को नहीं माननेका कदाग्रह छोड़ो, नहीं तो इनके निषेधसे इनके कथन कर्ताओं को प्रमाण मानने का उठ जानेसे इन महाराजोंके विरुद्ध कदाग्रह जमानेके मिथ्यात्व के बड़े ही दोषके बोझेसे कदापि दूर नहीं होसकोगे इस लिये यदि मिथ्यात्व से संचार भ्रमणका भय लगता हो तो छ कल्याणकोंको मान्य करो और निषेध के लिये जो जो अनर्थ किये जिसकी आलोचनासे आत्मशुद्ध करके भव्य जीवों को शुद्धमार्गका दर्शाव पूर्वक निजपरका आत्म कल्याण करो आगे इच्छा आपकी है ।
और आगे फिर भी लिखा कि ( हे मित्र जब इस छटेकल्याकी आपको जडता सिटुकर दिखाईतो फिर आपका जितना प्रयाश है सोतो स्वतः ही व्यर्थ है ) न्यायांभोनिधिजीके इन अक्षरों पर भी मेरेको इतना ही कहना है कि छठे कल्याणककी तो अडता कदापि सिद्ध नहीं हो सकती है परन्तु श्रीतीर्थंकर गणधरादि महाराजों की कथनकरी हुई छठे कल्याणककी सत्यवातको जडता कहनेवाले न्यायांभोनिधिजी वगैरह किसीको
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