Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-आस्था की ओर बढ़ते कदम प्रकरण - ४ धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन से मालेरकोटला में प्रथम भेंट
जीवन घटनाओं का नाम है हर पल, हर क्षण तथ हर समय कुछ न कुछ संसार में घटित होता रहता है। मेरे जीवन में भी एक महत्वपूर्ण घटना ३१ मार्च १६६६ को मालेरकोटला बैंक में घटित हुई। यह घटना किसी पूर्व जन्म के शुभकमों का उदय थी। जब मेरी धर्म यात्रा श्री रविन्द्र जैन मेरठ जीवन का सहयोगी बन गया। संसार में एक वात ही कठिन है वह है स्वयं के बारे में कुछ कहना या जो अपना हो उनके बारे में कहना। मैं नहीं जानता कि रविन्द्र जैन ने संक्षिप्त मुलाकात में ही मुझे अपना गुरू मान लिया। मैंने भी उसे अपना धर्मभ्राता माना। इसका जीवन एक शब्द , में ही पूर्ण हो जाता है वह शव्द है "निस्वार्थ भाव से समर्पण'। पता नहीं इसने मुझ में कौन सा गुण देखा ? यह प्रश्न अब भी अनुतरीय है। पर मैंने जैसे पहले कहा 'रविन्द्र जैन मेरे जीवन का अंहम भाग बन चुका है। मुझे इस के परिचय में कुछ शब्दों में लिखता हूं।
"मालेरकोटला के एक सामान्य जैन परिवार में __ श्री रविन्द्र जैन का जन्म २३ अक्तुवर १६४६ को (भैय्या
दूज) को हुआ। शुरू में दसवीं बड़ी मुश्किल से पास हुई। फिर कृषि उप-निरीक्षक का डिप्लोमा पी.ए.यू. लुधियाना से कर सरकारी नौकरी शुरू की। बहुत अल्पायु में यह नौकरी में आया। फिर नौकरी में ही इसने वी.ए. पंजावी विश्वविद्यालय - से उतीर्ण की। वी.ए. धर्म शिक्षा की परीक्षा में हम दोनों ने पंजावी विश्वविद्यालय पटियाला से सम्पन्न की। यह व्यक्ति
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