Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर बढ़ते कदम बौद्ध साहित्य विच नात पुत्त (भगवान महावीर) १२ : .
इस पुस्तक में हमने भगवान महावीर का जीवन वौद्ध त्रिपिटिको साहित्य से संकलित करके बताया है कि जैन धर्म वौद्ध धर्म से प्राचीन है। महात्मा वुद्ध व भगवान महावीर की इतिहासकता का प्रमाण इस पुस्तक में घटित होता है। वौद्ध साहित्य में भगवान महावीर को प्रतिद्वंद्वी के रूप में दिखाया गया है। यह लेख आस्थांजली के पंजावी भाग में प्रकाशित हुआ था। आरथाजली एक अभिनंदन ग्रंथ है जिसका प्रकाशन आचार्य श्री विमल मुनि जी महाराज के ५०वीं दीक्षा जयंती पर किया गया था। पुरातन पंजाब विच जैन धर्म ७ :
हर धर्म का अपना इतिहास होता है जिस धर्म जाति का इतिहास नहीं वह कौम कहलाने की हकदार नहीं
है। जैन धर्म का अपना इतिहास है। परम्परा, मान्यताएं हैं। ___ हर राज्य, हर काल में जैन किसी किसी रूप में विद्यमान था,
है, भविष्य में रहेगा। पंजाव हमलावरों की भूमि रही है। इन विदेशी आक्रमणकारीयों के कारण जैन धर्म में प्राचीन इतिहास में कम सामग्री उपलब्ध होती है। पंजाब में जैन धर्म का इतिहास जैन धर्म जितना पुराणा है। क्योंकि सभी तीर्थकरों का आगमन पंजाव में रहा है। उन्होंने यहां तपस्या की है, धर्म प्रचार किया है।
काफी समय से एक प्रश्न विद्वानों के सामने घूमता रहा है कि जैन धर्म पंजाव में कव आया ? इस प्रश्न का उत्तर इतना ही है कि पंजाव में जैन धर्म हर काल में विद्यमान रहा है। प्राचीन पंजाव का, प्राचीन पंजाव का नाम सप्त सिंधु प्रदेश था। वेदों में भी सात नदीयों की चर्चा की
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