Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 431
________________ -आस्था की ओर बढ़ते कर मन्दिर का निर्माण सेट मूल्चन्द सोनी ने १८६५ में करवाय. था। इसी कारण इसका नाम सोनी जी की नसिया है ।। अजमेर में आचार्य जिनदत्त सूरि का स्वर्गवास हुआ था । उनकी भव्य समाधि विनय नगर क्षेत्र में स्थित है । इस पावन तीर्थ का निर्माण १२वीं शताब्दी में हुआ था । दादागुन श्री जिनदत्त सूरि का जन्म सन् १०७६ में गुजरात के घोलकानगर में हुआ था । वर्ष की आयु में आपने संबन ग्रहण किया । आपका यह स्थान चमत्कार पूर्ण है । सन ११५५ में ७९ वर्ष की अवस्था में दादागुरु देव अजने स्वर्गलोक पधारे ! उनके तपोवन के प्रभाव से अंतिम समः में ओढ़ाई गई चादर, चरण पादुका व मुंहपट्टी स्वतः विना जले अग्नि से बाहर आ गिरी । यह वस्तुएं आज में जैसलमेर के ज्ञान भंडार में देखी जा सकती हैं जिन्हें एक कांच की पेटी में सुरक्षित रखा गया है । मन्दिर में प्रभु पारवनाथ जी की चरण पाद का एक सप्त धातु प्रतिमा विराजमान है 1 नवमलनाध की प्रतिमा भी है । यह स्थान तीन तरफ से अरावली पहाड़ से घिरा हुआ है । यहां का वातावरण आत्मा को शांति प्रदान करता अन्य दर्शनीय स्थल : अजमेर में स्टेशन से कुछ दूरी पर ख्वाजा साहिव की दरगाह है । यह मुस्लिम जगत का पवित्र तीर्थ है । यहां सब धमों के लोग शीश झुकाते हैं । वादशाह अकबर ने इस स्थान को दो विशाल देगें प्रदान की थीं । दरगाह के पास ढाई दिन का झोंपड़ा मस्जिद है, इसे मुहम्मद गौरी ने बनवाया था, सन् ११९८ में इसका निर्माग हुआ. था । डेढ़ घंटे में २०५५ फीट की ऊंचाई चढ़कर 429

Loading...

Page Navigation
1 ... 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501