Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- आस्था की ओर वो कदम आदिनाथ भगवान की टोंक का रास्ता ४ किलोमीटर है जिस में ३७५० सीढीयां हैं. वीच वीच सीधा रास्ता है। रास्ते में स्थान स्थान पर विश्रन स्थल हैं। यहां टण्डा स्वच्छ जल की व्यवरथा है। तलहटी से ३ किलोमीटर चटने के बाद दो रास्ते दिखाई देते हैं। एक रस्ता भगवान आदिनाथ के मुख्य मन्दिर की ओर जाता है और दूसरा रास्ता वन वाली टोंक की ओर जाता है। मुख्य टोंक की ओर जाने पर सर्वप्रथम रामपोल और वाध्नपोल दिखाई देती हैं। आगे हाथी पोल में यात्री प्रवेश करता है। यहां सूर्य कुण्ड, भीम कुण्ड व ईश्वर कुण्ड दिखाई देते हैं।
इस पर्वत पर बने सभी मन्दिर अलग अलग विभागों में बंटे हैं। हर एक विभाग को टोंक कहते हैं। एक एक टोंक में अनेकों -न्दर हैं और चारों ओर वडा परकोटा है। यहां के मन्दिर देव विमान जैसे लगते हैं। जैसे हजारों देव विमान इस पर्वत पर उतरे हों। मोतीशा की टोंक में २१६ मन्दिर हैं। इस के इलावा भारी मात्रा में देहरीयां है। सबसे ज्यादा मन्दिर आदिश्वर नाथ टोक पर हैं।
इस पर्वत पर १० टोंक हैं। इस पास ही धनवसही टोंक पर पाबापूरी मन्दिर की रचना है। इन टोंक के पवित्र नाम इस प्रकार हैं। १. श्री आदिश्वर प्रभु: मुख्य टोंक २. मोती शाह टोंक ३. वालावसही ४. प्रेमवर-हीं ५. हेमवसही ६. उजमवसहीं की टोंक ७. साखर वसह. र. छीपावसही ६. सवासोम की टोंक १०. खरतरवसही ११. तलहटी पर धनवसहीं।
इन सव में सवासोम की टोंक में चोमुख मन्दिर सव से उंचा है। यह नुख्य मन्दिर है जहां मूलनायक प्रथम तीथंकर भगवान आदिश्वर जी विराजमान हैं। यह मन्दिर बहुत प्राचीन है। मोतिमाह की टोंक में १६ मन्दिर और १२३
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