Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti

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Page 464
________________ ગ્રામ્ય જી કોર કહતે के समान कोई देवता नहीं। यह वातें न भूत काल में थी न वर्तमान में है, न भविष्य काल में होगा। फिर भक्त कहता है : सिद्धांचल सुमरूं सदा, सोरष्ट देश मजार मनुष्य जन्म पावू सदा, वदुं वार हजार। यहां मूल नायक आदिश्वर दादा की पूजा अर्चना वन्दना करना हर जैन अपने जीवन का सौभाग्य समझता है। इस तीर्थ का वातावरण अध्यात्मिकता से भरा पड़ा है। भक्त उपर वाले स्तवन में कहता है “मैं सिद्धांचल तीर्थ को नमरकार करता हूं जो सोराष्ट्र में सिथत है। मनुष्य जन्म पाकर मैं हजारों वार वन्दना करता हूं। तीर्थ दर्शन : शजय तीर्थ की उंचाई तलहटी से २०० फुट __ है। इस तीर्थ पर ६८१३ से ज्यादा कलात्मक व इतिहासक जिनालय हैं। इस तीर्थ का प्रथम जीर्णोद्धार भगवान ऋषभदेव के पुत्र चक्रवर्ती भरत ने कराया था। इस तीर्थ के २१ से ज्यादा जीर्णोद्धार का इतिहास प्राप्त होता है। पालीताना को मन्दिरों का शहर माना जाता है। विश्व इतिहास में कला व श्रद्धा की दृष्टि से यहां सव अनुपम, सुन्दर है। सारे संसार से तीर्थ यात्री आदिश्वर दादा के दर्शन करने आते हैं। जैन धर्म में समेद शिखर के बाद इस तीर्थ का स्थान है। सारे तीर्थ में भव्य धर्मशालएं हैं। हजारों साधू, साध्वी यहां यात्रा करने आते हैं। धर्मशाला में भी मन्दिर हैं। पालीताना स्टेशन के पास जम्बूदीप आदि प्रसिद्ध मन्दिर त्रिलोक रचना का सुन्दर नक्शा प्रस्तुत करते हैं। कार के रास्ते भावनगर से ५५ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अहमदाबाद से पालीताना २५५ किलोमीटर की दूरी पर है। तलहटी से 464

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