Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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- પરચા હી વોર નો દમ छोटी देहरीयां है। यह मन्दिर नलिनी गुल्म विमान का दृश्य प्रस्तुत करते हैं।
एक पहाड़ जिसे अद्भुत जी कहते हैं वहां भगवान ऋपभदेव की १८ फुट उंची १४ फुट चौडी पद्मासन प्रतिमा विराजित है। यह प्रतिमा पहाड खोद कर बनाई गई
है।
पालिताना की पश्चिम दिशा में पहाड के तलहटी ___ में श्री आदिनाथ पादुका मन्दिर है। साथ में अन्य तीर्थकरों
के चरण चिन्ह स्थित हैं। इसी के करीव शत्रुजय नदी वहती _है जहां तीर्थकर भगवान उपदेश देते हैं वहां स्वर्ग के देवता
समोसरण की रचना चर्तुमुखी आकार में करते हैं। प्रभु के अप्ट प्रतिहार्य ३४ अतिशय होते हैं। यह दृश्य इस समोसरण मन्दिर में दृष्टि गोचर होता है। मन्दिर की उंचाई १०८ फुट है। बीच बीच में ४८ फुट की उंचाई तथा चौडाई ७० फुट है। इस मन्दिर में १०८ जैन तीथों के दर्शन एक साथ एक ही रथान पर होते हैं।
शत्रुजय श्रद्धा और कला की दृष्टि से जैन धर्म का सर्वोपरि तीर्थ स्थल है। समरत भारत में जैन तीर्थ हैं पर शत्रुजय पालिताना का अपनी अलग पहचान है। यहां का कंकर कंकर शंकर है। इस यात्रा से जन्म के पाप नष्ट होते हैं। यहां की माटी को मस्तक पर लगाने के लिए देवता भी तरसते हैं। तीथं दर्शन से मनुष्य तो क्या, देव भी कृत कृत हो जाते हैं। पालीताना वह भूमि है जहां देवताओं का दिव्यत्व हर दिशा में झलकता है। पालीताना संसार की चिंता से मुक्त करने वाला तीर्थ है। जैन धर्म में उस प्राणी का जन्म लेना व्यथं माना जाता है जिसने जन्म. लेकर दो तीथों का बन्दन नहीं किया। यह वह तीर्थ हैं जहां हर समय यात्रीयों का आवागमन बना रहता है। यहीं प्रमुख तीर्थ है जहां साधु
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