Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 495
________________ - -=વાયા વોટ તો ભ प्रतिमा का नाम केशरीया जी पड गया। वैसे इस स्थान का ऋपभदेव है। जो राष्ट्रीय मार्ग स ८ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मन्दिर ५२ जिनालय युक्त है। यह मन्दिर वहुत प्राचीन है। इस मन्दिर के कई जीणोद्धार श्वेताम्वर व दिगम्बर आचार्य ने करवाए। किंवदंती है कि इस स्थान की । पूजा लंकापति रावण ने भी की थी। यह मन्दिर आपसी कलह के कारण राजरथान सरकार के आधीन है। जिस का प्रबंध देवस्थान विभाग करता है। मुझे इस यात्रा में शृद्धा व आरथा के विभिन्न दर्शन हुए। अन्य यात्राएं। यह यात्रा का मुख्य उदेश्य तेरापंथ संघ के गुरुदेव के दर्शन करना था। पर रास्ते में जो भी जैन तीर्थ आए उनका विवेचन भी जरूरी है। इस संदर्भ में में सर्वप्रथम आचार्य श्री तुलसी जी की जन्म भूमि लाडनू गया। लाडनूं राजरथान का प्राचीन स्थान है। यह ऐसा गांव है जिसे तेरापंथ धर्म संघ का गढ़ कहा जा सकता है। लाडनूं गाव ने तेरापंथ सम्प्रदाय के अनेकों साधु साध्वीयों को जन्म दिया है। वीसवीं सदी के अंत में इस करवे को नई पहचान मिली, जव आचार्य श्री तुलसी जी भगवान महावीर के २५०० निर्वाण महोत्सव पर जैन धर्म की एक मात्र यूनिवर्सिटी जैन विश्व भारती का निर्माण इस गांव में किया। इस गांव को नई पहचान मिली। यह यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन से मंजूर है। यहां जैन धर्म, प्रेक्षा ध्यान जीवन विज्ञान पढ़ाने की उच्च व्यवस्था है। संसार भर के विद्वान जैन धर्म के उच्च अध्ययन के लिए आते हैं। यहां शोध केन्द्र, प्रकाशन केन्द्र, साधु साध्वीयों के निवास स्थल, ध्यान केन्द्र, प्रवचन केन्द्र, पुस्तकालय के भवन हैं। विद्वानों के रहने के लिए गेस्ट हाउस हैं। वाहर 195

Loading...

Page Navigation
1 ... 493 494 495 496 497 498 499 500 501