Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti

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Page 483
________________ – વાસ્થા હી વોર કહો છ૮મ व अरत का दृश्य मनमोहक होता है। सन् साईट प्वाइंट से बाजार मार्ग पर नक्की झील है जो पहाडों से घिरी हुई है। यहां प्राकृति अपनी छटा विखेरती है। यह कृत्रिम झील अनेकों द्वीपों से घिरी है। यहां पर्यटक नौका विहार का आनंद लेते हैं। कुछ ही दूरी पर मधुवन के पास ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय शिक्षा विद्यालय विश्व को शान्ति का उपदेश देता है। यहां धार्मिक संग्रहालय है। कोडरा वांध से शहर की जलपूर्ति होती है। इस वांध से तीन किलोमीटर दूर जाने पर अधरादेवी का मन्दिर है। यह मन्दिर पहाड को काट कर बनाया गया है। २२० सीढीयां चढने पर मन्दिर का मुख्य द्वार आता है। प्रवेश द्वार से आगे का रास्ता तंग होता है, यह अवुर्दा देवी नगर की देवी मानी जाती है। इस का अपभ्रंश आवू पड़ा। इस मन्दिर से नगर का दृश्य मनोरम दिखाई देता है। इस नगर में श्वेताम्बर जैन स्थानक वासी उपाध्याय श्री कन्हैया लाल ने श्री वर्धमान जैन केन्द्र की स्थापना की है। जहां आगमों पर विशाल स्तर पर शोध कार्य होता है। यहां जैन स्थानक विशाल ग्रथाल्य, औषधालय, धर्मशाला व भोजनशाला की सुविधा यात्रीयों को प्राप्त है। आवू तीर्थ राजरथान गुजरात की सीमा पर विश्व प्रसिद्ध पयंटन रथल है। यात्रा विवरण : . मैं गुजरात की यात्रा सम्पन्न कर सीधा माउंट आबू रोड पहुंचा। जिन स्थानों को मैंने देखा, उनका विवरण मैंने पहले कर दिया है। मेरा उद्देश्य मात्र तीर्थ यात्रा करना था। इस यात्रा में मैंने देखा की आवू तीर्थ पर हमारे श्रावकों 483

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