Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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की ओर पड़ते ग
के लिये आपके गांव में मन्दिर की स्थापना करना चाहते हैं
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चमत्कार :
गांव वासीयों ने सहर्ष एक ऊंचे टीले पर मन्दिर बनाने की आज्ञा प्रदान की । कुछ समय वाद मन्दिर वनकर तैयार हो गया | श्रावक जन आने लगे । गांव में भव्य मेला लगा । प्रभु महावीर की ताम्रवर्ण प्रतिमा को रथ में बैठाया गया, पर यहां भी एक चमत्कार घटित हुआ । रथ एक कदम भी आगे न बढ़ा, पुनः दूसरा रथ लाया गया । दूसरे रथ की स्थिति भी वैसी ही रही । रथ को खींचने के लिये कई पशु लगाये गये, पर रथ वहां ही खड़ा रहा । इतने में आकाशवाणी हुई, “जब तक यह गवाला प्रतिमा को हाथ नहीं लगायेगा, तब तक रथ नहीं चलेगा ।"
इस देववाणी के अनुसार भीड़ में से उस गरीव गवाले को बुलाया गया । उसने प्रतिमा को स्पर्श किया । उसने प्रतिमा को सिर पर उठाकर रथ में स्थापित आसन पर विटाया गया । फिर रथ को स्पर्श किया, रथ शीघ्रता से आगे बढ़ा । तव से यह परम्परा वन गई है कि इस गवाले के परिवार वाले रथ को हाथ लगाते हैं, तभी रथ यात्रा शुरु होती है ।
यह स्थान अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का है । यहां हर जाति, वर्ण, धर्म के लोग आते हैं । निम्न वर्ग माने जाने वाले लोग प्रभु महावीर को अपना सर्वस्व मानते हैं । यहां महावीर जयन्ति पर एक मेला लगता है जिसका सारे राजस्थान में बहुत महत्व है । सभी लोग अपने-अपने गांवों से नाचते-गाते आते हैं, अपनी परम्परा के अनुसार प्रभु महावीर की पूजा अर्चना करते हैं ।
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