Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-आरथा की ओर बढ़ते कदम प्रकरण १३
हमारे द्वारा संक्षिप्त यात्राएं
यह यात्राएं एक से तीन दिन में सम्पन्न हुई । सभी यात्रा का सम्बन्ध जैन तीथों से था । यहां मैं सबसे पहले श्री महावीर जी की यात्रा का वर्णन करूंगा । इसके पीछे कारण था, जब मैं कुछ अस्वस्थ था तो मेरे धर्मभ्राता रविन्द्र जैन ने यह मन्नत मांगी, "हे भगवान! अगर मेरा धर्म भ्राता पुरूषोत्तम स्वरथ हो जाए तो मैं रवीन्द्र जैन तुम्हारे चरणों, उसके साथ आकर वन्दन करूं ।" मैं धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगा । प्रभु महावीर की करुणा का यह चमत्कार था कि मुझे लंगा कि श्री महावीर जी तीर्थ चमत्कारी है । मेरी तकलीफ से पहले हम दोनों में से वहां कोई नहीं गया था । इस स्टेशन का नाम श्री महावीर जी भी जरूर पता था ।
जव में स्वस्थ हो गया, तो मैंने इस तीर्थ के वारे में पता किया । मुझे पता चला कि यह स्थान दिल्ली-भरतपुर
लाईन पर है । हम दोनों ने यात्रा का कार्यक्रम बनाया । यह __ यात्रा मेरे धर्मभ्राता रवीन्द्र जैन की मेरे लिये की प्रार्थना का
फल थी । इस प्रार्थना में मैंने शक्ति देखी है । अव उस दिन से लेकर आज तक वर्ष में वह मेरे लिये प्रार्थना रखे श्री महावीर जी जाता है । तीर्थ इतिहास :
इस तीर्थ का इतिहास ३०० वर्ष से ज्यादा पुराना है । यह तीर्थ राजस्थान के जिला करेली में स्थित है । यह स्थान देहली से ३०० कि.मी. दूर है । आगरा से भी यहां पहुंचा जा सकता है, आगरा से १७० कि.मी. है । पहले इसका जिला सवाई माधोपुर था । अव यह करेली जिला में हैं इस
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