Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-आस्था की ओर बढ़ते कदम गणतंत्र के राष्ट्रपति ने मेरे धर्म भ्राता की पुस्तक श्रमणोपासक का विमोचन किया। ज्ञानी जी ने इसी महान पद से मुझे सन्मानित किया। आज इस पुस्तक का हर अक्षर मेरे लिए प्रेरणा है। इस पुस्तक में जितना मुझे महान प्रकट किया गया है, उतना मैं महान नहीं। मैं तो तीर्थकर व श्रमण परम्परा के मार्ग पर चलने वाला साधारण आदमी हूं। यह पुस्तक एक ऐसी दस्तावेज है जो गुरु शिष्य के रिश्ते की व्याख्या करती है। यह पुरतक मेरे जीवन की अमूल्य निधि है। मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन की मेरे प्रति समर्पित जीवन की इतिहासिक धरोहर है। इस पुस्तक का मूल्यांकन करना, श्रद्धा का मूल्यांकन करना है जो असंभव है। इस समारोह पर आचार्य श्री सुशील कुमार जी महाराज ने हमें आर्शीवाद दिया। इस पुस्तक के विमोचन समारोह पर साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज का चित्र मैंने व उनके भ्राता श्री सुरिन्द्र जैन ने राष्ट्रपति को भेंट किया। २. जैन जगत की ज्योतिर्मय श्रमणियां :
जैन तीर्थकरों ने स्त्रियों को पुरूष के समान समाजिक व धार्मिक समानता प्रदान की है। इसका प्रमाण है, जैन जगत में श्रमणी परम्परा। जैन जगत के २४ तीथंकरों के काल में श्रमणी वर्ग की संख्या पुरुषों से अधिक रही है। श्रमणी परम्परा आधुनिक काल में भी अपना गौरवमय इतिहास को जीवत रखे हुए है। आज भी जैनों के सभी सम्प्रदायों मे साध्वीयों की गिनती, साधुओं से ज्यादा मिलती है। हमारी इस लघु पुस्तिका में कुछ प्राचीन इतिहासक साध्वीयों का जीवन सरल भाषा में वर्णन किया है। प्रभु ऋपभ देव से प्रभु महावीर तक की प्रसिद्ध साध्वीयों के साथ साथ प्रभु महावीर के निर्वाण से आज तक हुई कुछ इतिहासक साध्वीयों का वर्णन किया गया है। जिनका
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