Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-स्था की ओर दो कदम हमारा हिन्दी साहित्य
भारत जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा देश है जिस में विभिन्न भाषाएं धर्म, संस्कृतियां व विचारधाराएं फली फूली हैं। इन भाषाओं में प्रमुख भाषा हिन्दी है जो हमारे देश की राष्ट्र भाषा है। अंग्रेजी के वाद इस का रथान है। हिन्दी भाषा की उत्पति में जैन आचायों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जैन आचायों ने प्राकृत भाषा में साहित्य रचा है, इसी प्राकृत भाषा से अपभ्रंश के रूप में लोक भाषा की उत्पति हुई। इस भाषा में जैन आचायों का अधिपत्य रहा है। इसी भाषा में जव सुधार आया तो हिन्दी के रूप में आया। हिन्दी में प्रथम जीवन चारित्र जैन कवि पं० वनारसी दास ने अर्ध कथानक के रूप में ३५० वर्ष पहले लिखा। हिन्दी भाषा में कवीर, सूरदास, रहीम व तुलसी कवि हुए। पर हिन्दी भाषा का प्रथम काव्य पृथ्वी राज रासों है। अमीर खुसरो ने हिन्दी भाषा को विकसित करने में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
जैन आचायों ने हजारों की संख्या में हिन्दी भाषा को ग्रंथ भेंट किए हैं। कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द जी महाराज के समय हिन्दी भाषा ही उत्पति हो चुकी थी। इस का विकसित रूप मुस्लिम युग में आया। इसी समय उर्दू भाषा की उत्पति भारत में हुई। यह विदेशीयों के लिए संपर्क भाषा थी। स्वतन्त्रता से पहले हिन्दी अपनी जड़ें जमा चुकी थी। जैन मुनियों के वोलचाल, प्रवचन व जनं संपर्क की भाषा भी यही रही है। इस भाषा के साहित्य में जैन विद्वानों को योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है।
इसी परम्परा को आगे वढाने के लिए और जैन समाज को अपने साहित्य से परिचित कराने के लिए हमें
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