Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-आस्था की ओर बढ़ते कदा हमारा काम विद्वानों जैसा नहीं, हमारा प्रयास तो पंजावी पाठकों तक जैन धर्म, दर्शन, इतिहास की परम्परा को पहुंचाना था, जो जन साधारण पंजावी भाषा के अभाव से नहीं जानते थे। मुझे प्रसन्नता है कि हमें इस कार्य में काफी सफलता मिली है। जैन समाज साहित्य के क्षेत्र में हमेशा
आगे रहा है। हर युग में हर भाषा में जैन आचायों व विद्वानों ने साहित्य लिखा। जैन साहित्य के मामले में पंजावी भाषा २४०० वर्षों तक अछूती रही। इस कमी को पूरा करने का सौभाग्य हमें मिला। हमें समस्त जैन समाज के प्रवुद्ध वर्ग ने इस कार्य में सहयोग दिया। यह कार्य तीर्थकर परम्परा के अनूकूल है क्योंकि तीर्थकर अपना धर्म उपदेश लोक भाषा में करते हैं। अगले अध्ययन में हमारे द्वारा हिन्दी भाषा में जो साहित्य लिख गया है, उसका वर्णन करूंगा।
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