Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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-RL की ओर बढ़ते कदम का प्रबंध किया था।
शाम तक काफी मेहमान व विद्धान आ चुके थे। हर शहरों से एक दिन पहले आने शुरू हो चुके थे। श्रमण श्रमणियों को वन्दन कर धर्म लाभ ले रहे थे। यह अनुपम व अभूतपूर्व अवसर था। २६ जनवरी १६६ :
___ २६ जनवरी जहां भारत का गणतन्त्र दिवस है वहां गुरूणी जी का जन्म दिन भी है। उन का जन्म लाहौर में २६ जनवरी १६२५ को हुआ था। यह महज इतिफाक है कि गुरूणी का जन्म लाहौर में इसी दिन हुआ जव पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रावी नदी के किनारे पूर्ण स्वराज्य का नाअरा दिया। जब वह दीक्षा के लिए गुरूणी राजमति के चरणों में प्रस्तुत हुई तो हिन्दु मुस्लिम दंगे बंद हो गए।
सुवह करीव ५० के करीव साधु साध्वीयां पूज्य कांशी राम जैन स्कूल के विशाल प्रांगण में पधारे। यहीं सारा प्रवंध था। खाना पीना व समारोह इसी स्थल पर हो रहा था। इस समारोह में हमारे कुछ घनिष्ट मित्र शामिल हुए। जिनके नाम का उल्लेख करना जरूरी है। यह धे श्री सुभाष गोयल सी.जे.एम. अम्वाला (आज कल एडीशनल सैशन जज फरीदावाद) श्री जितेन्द्र जैन एस.एस.पी. जालंधर, श्री मदनलाल हसीजा निर्देशक भाषा विभाग पंजाव, डा. धर्म चन्द जैन कुरुक्षेत्र, डा० किरणकला जैन कुरूक्षेत्र, डा० धर्म सिंह पंजावी विश्वविद्यालय, पटियाला।
आखिर भारतीय श्वेताम्बर स्थानक वासी जैन प्रतिनिधि भी पधारे थे। इस सभा की अध्यक्षता श्री फकीर चन्द्र अग्रवाल उपसभापति हरियाणा विधान सभा ने की थी। वह साध्वी श्री स्वर्णकांता जी महाराज के गुणों से पूर्व परिचय
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