Book Title: Astha ki aur Badhte Kadam
Author(s): Purushottam Jain, Ravindar Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti
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आस्था की ओर बढ़ते कदम
में दस दिनों में शामिल हुए थे। अधिकांश विद्वान उतरप्रदेश, विहार, मध्यप्रदेश के थे। पर देहली, हरियाणा, चण्डीगढ़ से काफी विद्वान शामिल हुए। पर पंजाब से बहुत कम विद्वान आए हुए थे। जिन्हें सम्मान सहारोह के लिए बुलाया गया था । शायद पंजाव से ५-७ विद्वानों को ही निमंत्रण मिला
था ।
हमें निमंत्रण तो मिल गया, पर शारीरिक वयवस्था यहां आने की आज्ञा नहीं देती थी। मैंने अपने धर्म भ्राता श्री रविन्द्र जैन को एक दिन पहले भेज दिया, ताकि वह स्थान व प्रोग्राम की सूचना प्राप्त कर सके ।
मुझे मेरे धर्म भ्राता रविन्द्र जैन ने सारे समारोह के आयोजन के बारे में फोन से अवगत करवाया । मैने सोचा यह कार्यक्रम मात्र एक दिन का है । इसी दृष्टि से मैं सुवह ४:०० बजे मंडी गोविन्दगढ़ से रवाना हुआ। मैने अपने धर्म भ्राता रविन्द्र जैन से फोन पर कहा आप सभा स्थल के बाहर के गेट पर खड़े रहें। जब मैं घर से चला तो मन में एक अनुपम खुशी थी, कि चलो अव समाज के साथ साथ अंतराष्ट्रीय समुदाय भी हमारे साहित्य को सम्मान की दृष्टि से देखने लगा है। इस स्थल पर हमारी नई हिन्दी कृति सचित्र भगवान महावीर जीवन चारित्र अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करना चाहिए । इस दृष्टि कोन को सामने रख कर मैंने वह ग्रंथ की ५ कापीयां तैयार करवाईं। अभी इस ग्रंथ का विमोचन होना बाकी था। मैंने यह ग्रंथ समर्पित करने का मन वनाया था। इस ग्रंथ में अभी कुछ चित्र लगने बाकी थे। जिल्द भी विशेष रूप से तैयार करवाई थी। जल्दी ही ग्रंथ पहुंच गए थे। इस अवसर पर ग्रंथ का महत्व बढ़ गया था । मैने यह ग्रंथ अपने धर्म भ्राता रविन्द्र जैन के साथ मिलकर हिन्दी में लिखा था । इस ग्रंथ में प्रभु महावीर के ७२ वर्ष का
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